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राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने सदन में उठाया मनरेगा कार्य दिवसों की संख्या एवं योजना दायरा बढ़ाने का मुद्दा 

राज्यसभा सांसद ने उच्च सदन में ग्रामीण विकास मंत्री से इस विषय पर विस्तृत जानकारी मांगी
नई दिल्ली/देहरादून। राज्यसभा सांसद एवं प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने मनरेगा कार्य दिवसों की संख्या एवं योजना दायरा बढ़ाने का मुद्दा संसद में उठाया है।
उच्च सदन में अतारांकित प्रश्न सं. 2541 के अंतर्गत उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्री से इस विषय पर विस्तृत जानकारी मांगी। जिसमें उन्होंने पूछा, क्या सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 100 रोजगार दिवसों को और बढ़ाने पर विचार करेगी। और इस योजना के दायरे में जल संरक्षण, ग्रामीण स्वच्छता, वृक्षारोपण और अग्नि निवारण जैसी गतिविधियों को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है?
जिसके ज़बाब में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री  कमलेश पासवान ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत प्रत्येक परिवार जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हैं, उनको प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा बढ़ाना है।
जहां तक रोजगार दिवसों की बात है, यह मंत्रालय वन क्षेत्र में प्रत्येक अनुसूचित जनजाति के परिवार को 50 दिनों के अतिरिक्त मजदूरी रोजगार देता है जो निर्धारित 100 दिनों से अलग होता है। बशर्ते कि इन परिवारों के पास वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) अधिकारों के अलावा कोई अन्य निजी संपत्ति न हो। इसके अतिरिक्त, सूखा/प्राकृतिक आपदा प्रभावित अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों में एक वित्तीय वर्ष में 50 दिनों तक अतिरिक्त मजदूरी रोजगार का प्रावधान है। इसके अलावा, अधिनियम की धारा 3(4) के अनुसार, राज्य सरकारें रोजगार गारंटी अवधि के अलावा रोजगार के अतिरिक्त दिन प्रदान करने का प्रावधान कर सकती हैं।
वहीं महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत किए अनुमेय कार्यों की बात है तो कुल 266 अनुमेय कार्य में से 150 कार्य कृषि एवं कृषि से संबद्ध कार्यकलापों से जुड़े हैं तथा 58 कार्य प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से संबंधित हैं। जिसमें प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से जुडे सार्वजनिक कार्य में भूजल को बढ़ाने और इसमें सुधार लाने के लिए जल संरक्षण और जल संचयन संरचनाएं जैसे भूमिगत बांध, मिट्टी के बांध, स्टॉप डैम, चेक डैम और सरकारी या पंचायत भवनों में छत के ऊपर वर्षा जल संचयन संरचनाएं जिसमें पेयजल स्रोतों सहित भूजल को रिचार्ज करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जिसकी प्रगति स्थिति के अनुसार, योजना के तहत कुल 7.61 लाख जल संरक्षण और जल संचयन कार्य वर्तमान में चल रहे हैं जबकि शुरुआत से अब तक 62.89 लाख कार्य पूरे हो चुके हैं। इन कार्यों पर कुल व्यय 1,77,840.09 करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 4.99 लाख जल संरक्षण और जल संचयन कार्य पूरे किए जा चुके हैं जिन पर 17,889.52 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

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