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कई राज्यों में आज खत्म हो रही गेहूं की सरकारी खरीद की मियाद

नई दिल्ली। गेहूं की सरकारी खरीद की अवधि कई राज्यों में मंगलवार को समाप्त हो रही है। हालांकि इससे पहले 185 लाख टन गेहूं खरीद के लक्ष्य का संशोधित आंकड़ा पूरा हो गया। इससे 17.50 लाख किसानों को लाभ मिला है। खरीद की अवधि बढ़ाने से जहां किसानों को अपना बचा गेहूं बेचने में सहूलियत हुई वहीं इससे सरकारी स्टाक बढ़ाने में भी मदद मिली है।
13 मई को अचानक गेहूं निर्यात को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया गया। इससे प्राइवेट निर्यातकों ना केवल तेज झटका लगा था बल्कि जिंस बाजार में भी हड़कंप मच गया था। सरकार ने किसानों के हित में एमएसपी पर होने वाली गेहूं की खरीद की अवधि एक पखवाड़ा बढ़ाकर 31 मई कर दिया गया।
वैश्विक बाजार में गेहूं की सप्लाई बाधित होने से निर्यात मांग बढ़ गई, जिससे घरेलू जिंस बाजार में गेहूं के व्यापारियों ने आगे बढ़कर खरीद चालू कर दी। इससे गेहूं का भाव निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर बोला जाने लगा। सरकारी खरीद केंद्रों पर खरीद घट गई।
हालात यहां तक पहुंच गए कि चालू खरीद सीजन में निर्धारित 444 लाख टन के मुकाबले 14 मई तक मात्र 180 लाख टन खरीद ही हो सकी थी। ये हालत देखकर सरकार का खाद्य प्रबंधन संभालने वालों के माथे पर बल पड़ने लगे थे।
देश में गेहूं की जरूरत राशन प्रणाली और प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना समेत कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं में होती है। देश के बफर स्टाक और स्ट्रेटजिक स्टाक आदि के मानकों के हिसाब से गेहूं का स्टाक निचले स्तर पर आ गया। इसके अलावा निजी खरीद की तेजी और महंगाई को देखते हुए किसानों ने भी गेहूं का स्टाक मुनाफा कमाने के लिए कर लिया।

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