उत्तराखण्ड

शीतकालीन सत्रः धामी सरकार की बड़ी कामयाबी, उत्तराखण्ड विधानसभा में पास हुए दो ऐतिहासिक विधेयक, महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण और धर्मांतरण पर रोक कानून पास

  • प्रदेश में महिलाओं को तीस प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था फिर से हो जाएगी लागू

  • दोनों विधेयकों को राज्य सरकार ने कैबिनेट से दी थी मंजूरी

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन दो महत्वपूर्ण विधेयक विधानसभा में ध्वनिमत से पास हो गए। उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता ;संशोधनद्ध विधेयक 2022 के पास होने के बाद प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर कठोर कानून का प्राविधान हो गया है। इसके अलावा उत्तराखंड लोकसेवा ;महिलाओं के क्षैतिज आरक्षणद्ध विधेयक 2022 से प्रदेश में महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था एकबार फिर से लागू हो जाएगी।
कुछ दिन पूर्व राज्य सरकार ने इन दोनों विधेयकों को कैबिनेट से मंजूरी दी थी। बुधवार को विधानसभा में इन विधेयकों के पास होने से प्रदेश में इसे लागू करने की जल्द अधिसूचना जारी हो जाएगी। शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने कई मुद्दों को सदन में उठाया। शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन कई और विधेयक सदन में सरकार ने पास कराये। दोनों बिल पास होना धामी सरकार की बड़ी कामयाबी है।

दस साल तक के कारावास का किया गया प्रावधान
देहरादून। देश के संविधान के तहतए धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के तहतए प्रत्येक के महत्व को समान रूप से मजबूत करने के लिए धर्मए उत्तराखंड धर्म की स्वतंत्रता अधिनियमए 2018 में संशोधन आवश्यक है। इस अधिनियम के लागू होने के बाद दोषी पाए जाने पर न्यूनतम तीन साल से लेकर अधिकतम 10 साल तक के कारावास का प्रावधान किया गया है। इतना ही नही अपराध करने वाले को कम से कम पांच लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता हैए जो पीड़ित को दिया जाएगा। विधेयक के अनुसारए कोई व्यक्ति़ किसी अन्य व्यत्तिफ़ को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बलए प्रलोभन या कपटपूर्ण साधन के रजिए एक धर्म से दूसरे में परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा। कोई व्यक्ति ़ ऐसे धर्म परिवर्तन के लिए उत्प्रेरित या साजिश नहीं करेगा।

महिला आरक्षण बिल को कानूनी रूप सरकार की बड़ी उपलब्धि
देहरादून। उत्तराखंड लोकसेवा ;महिलाओं के क्षैतिज आरक्षणद्ध विधेयक 2022 के तहत राज्य में महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 20 से 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। यह प्रावधान उन महिलाओं के लिए किया जा रहा है। राज्य गठन के दौरान तत्कालीन सरकार ने 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण शुरू किया था। जुलाई 2006 में इसे 30 प्रतिशत कर दिया था।
इसी साल हरियाणा की पवित्र चौहान व अन्य प्रदेशों की महिलाओं को जब क्षैतिज आरक्षण का लाभ नहीं मिला तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगा दी थीए इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। बीते 4 नबंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर आरक्षण को बरकरार रखा। अब सरकार ने इस विधेयक को सदन में पास करवाकर इसे कानूनी रुप दे दिया है जो कि मौजूदा सरकार की बड़ी उपलब्धि के रुप में देखा जा रहा है।

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