मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने लखनऊ में किया उत्तराखंड महोत्सव का शुभारंभ,आयोजनों को अपनी संस्कृति को जानने व देश व दुनिया तक पहुंचाने का बेहतरीन माध्यम बताया
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आज उत्तराखंड का ही नहीं बल्कि पूरे देश का भी बढ़ रहा सांस्कृतिक वैभव
लखनऊ-देहरादून।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को लखनऊ में उत्तराखंड महापरिषद द्वारा आयोजित उत्तराखंड महोत्सव का शुभारंभ करते हुए ऐसे आयोजनों को अपनी संस्कृति को जानने तथा इसे देश व दुनिया तक पहुंचाने का बेहतरीन माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड महोत्सव जैसे आयोजन हमारी लोक विरासत को संरक्षण प्रदान करने के साथ ही आने वाली पीढ़ी को हमारी लोक संस्कृति से परिचित कराने का कार्य कर रही है। राष्ट्र और संस्कृति को प्रत्यक्ष रूप से जानने का अवसर प्रदान करने वाला यह उत्तराखंड महोत्सव, निश्चित रूप से हमारी आगामी पीढ़ी के लिए सामाजिक समरसता को प्रगाढ़ करने का भी कार्य करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज उत्तराखंड का ही नहीं बल्कि पूरे देश का भी सांस्कृतिक वैभव बढ़ रहा है।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि अपने हाल ही में लंदन, दुबई, अबू धाबी के दौरे के दौरान उन्होंने देखा कि हमारे भारतीय और विशेष रूप से उत्तराखंडी लोग आज भी अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता को नहीं भूले हैं। वे लोग विदेशी जमीन पर रहकर भी भारतीय संस्कृति और परंपराओं को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। लखनऊ में भी उत्तराखंडी भाई-बहनों से मिलकर एक पल के लिए लगा कि वे उत्तराखंड में ही हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पूरन सिंह जीना की पुस्तक सतरंगी का विमोचन करते हुए चन्दन सिंह मेहरा एवं सत्यप्रकाश जोशी को उत्तराखण्ड महापरिषद के हीरक जयंती सम्मान से सम्मानित किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री ब्रिजेश सिंह, महापौर लखनऊ सुषमा खर्कवाल, उत्तराखंड महापरिषद के पदाधिकारी दीवान सिंह अधिकारी, देवेन्द्र सिंह बिष्ट सहित बड़ी संख्या में उत्तराखण्ड के प्रवासी जन उपस्थित थे।
अपनी संस्कृति व परंपराओं को सहेजना जरूरी
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आज के दौर में अपनी संस्कृति एवं परंपराओं को सहेजना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि अपनी माटी, अपनी संस्कृति और अपनी परंपरा से कटा व्यक्ति त्रिशंकु की भांति न इधर का रहता है और न ऊधर का। इसलिए यदि हमें आगे बढ़ना है तो अपनी परंपराओं और संस्कृति से जुड़े रहना होगा। उन्होंने लखनऊ में निवासरत उत्तराखंडवासियों से अपील की कि वे अपने-अपने गांव में वर्ष में एक या दो बार अवश्य आएं। इससे हमारी भावी पीढ़ी उत्तराखंड की परंपराओं से परिचित तो होगी ही। सीएम धामी ने लखनऊ में अपने छात्र जीवन को याद करते हुए उत्तराखंड महापरिषद (पूर्व कुमाऊँ परिषद) के संस्थापक अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रहे भारत रत्न प. गोविन्द बल्लभ पंत, स्व. दयाकृष्ण जोशी, स्व. मेजर हयात सिंह, स्व. श्री नारायण दत्त तिवारी को भी नमन किया।