उत्तराखण्ड

नाक-कान में दवा डालने से टूट जाता है रोजाः काजी

  • वुजू के दौरान हल्क में पानी जाने से भी टूट जाएगा रोजा
  • इंजक्शन लगवाने-गुलकोस छढ़वाने से नही टूटेगा रोजा
    देहरादून। मजलिस दारूल कजा की ओर से तस्मिया कुरआन म्यूजियम टर्नर रोड में रविवार को आयोजित इस्तिकबाल-ए-रमजान कार्यक्रम के दौरान दारूल कजा के काजी मुफ्ति सलीम अहमद कासमी ने रोजे के मसाईल पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पैगंबर मौहम्मद साहब ने फरमाया है कि शाबान मेरा और रमजान अल्लाह का महीना है। रोजा का मकसद गुनाहो से रोकना है सुबह सादिक से लेकर गुरूब-ए-आफताब तक खाने-पीने और जिमा करने से रोकने का नाम रोजा है। रोजा इसलिए फर्ज किया गया ताकि तुम रोजा के जरिए तक्वा (परहेजगारी) पैदा कर सको। रोजा अल्लाह को सबसे ज्यादा पसंदीदा अमल है, रोजे में कोई नुमाइश नहीं है। रोजे का सवाब अल्लाह तबारक व ताआला खुद अता करेगा। मुफ्ति सलीम अहमद कासमी ने रोजे के मसाईल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रोजे की हालत में अगर नाक में या कान में दवा डाली गई तो रोजा टूट जाएगा। आंख में दवाई डालने या सुरमा लगाने से रोजा नहीं टूटता। उन्होने कहा कि जान बूझ कर कय ( उल्टी) करने से भी रोजा टूट जाता है, वहीं, अगर खुद ब खुद कय ( उल्टी) आ जाए तो रोजा नहीं टूटता। मुफ्ति सलीम अहमद कासमी ने यह भी बताया कि रोजे की हालत में वुजू करते समय कुल्ली करने की हालत में अगर पानी हल्क में चला जाए तो रोजा टूट जाएगा। इंजेक्शन लगवाने या गुलकोस लगवाने से रोजा नहीं टूटता।

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