उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड में 47 सीटों के साथ फिर बनाई सरकार

  • 2017 के बाद 2022 में भी जीतकर किया शानदार प्रर्दशन
  • राज्य गठन के बाद लगातार दूसरी बार सत्ता में आने वाली पहली पार्टी बनी भाजपा

देहरादून। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखण्ड में सरकार बनाने को लेकर चले आ रहे सभी मिथक और अंधविश्वासों को ध्वस्त करते हुए 2022 के विधानसभा चुनाव में भी 47 सीटें जीतकर न सिर्फ शानदार बहुमत हासिल किया, बल्कि सत्ता लगातार अपने पास बरकरार रखी है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 57 सीटें जीती थी इस बार हालांकि उसे 9 सीटों को नुकसान हुआ है, मगर खास बात यह कि भाजपा ने प्रदेश में चले आ रहे उस सबसे बड़े मिथक को तोड़ा है जिसमें एक-एक बार सरकार बनाने का ट्रेंड चला आ रहा था। कांग्रेस को इस बार भी सत्ता से दूर रहना पड़ा है। उसे 2017 के मुकाबले ज्यादा सीटें मिली है। कांग्रेस ने इस बार 19 सीटें जीती हैं। वहीं बसपा ने 2 और दो स्थानों पर निर्दलीय विजयी रहे हैं। भाजपा ने इस बार भी कुमाऊं में अच्छा प्रदर्शन किया है। जबकि उसे 2017 के मुकाबले गढ़वाल में कुछ सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 57 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस को 11 सीटें मिली थी। इस बार विधानसभा चुनाव में एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को नैनीताल की लालकुआं सीट से हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट ने लगभग 14 हजार वोटों से हराया है। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक कड़े संघर्ष के बाद हरिद्वार शहर सीट से लगातार पांचवीं बार जीतने में कामयाब रहें। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को पौड़ी की श्रीनगर सीट से लगातार दूसरी बार भाजपा के डॉ. धन सिंह रावत से हार का सामना करना पड़ा है। हरिद्वार ग्रामीण सीट से कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद चुनाव हार गए जबकि खानपुर सीट से चार बार के विधायक कुंवर प्रणव सिंह चौम्पियन अपनी पत्नी कुंवरानी देवयानी सिंह को जीत नहीं दिला पाए। भाजपा को लगातार दूसरी बार बहुमत मिलने के बाद अब पार्टी के सीएम के चेहरे को लेकर हलचल तेज हो गई है।

युवा कापड़ी से खटीमा सीट गंवा बैठे सीएम धामी
खटीमा। उत्तराखण्ड भाजपा सरकार के अन्तिम 6 महीनों में मुख्यमंत्री बनकर धुंआधार पारी खिलने वाले पुष्कर सिंह धामी अपनी पंरम्परागत सीट नहीं बचा पाए। धामी को कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष और प्रत्याशी भुवनकापड़ी ने खटीमा विधानसभा सीट पर 6951 वोटों करारी शिकस्त दी। कापड़ी को कुल मिलाकर 47626 और धामी को 40675 वोट मिले। धामी के चुनाव लड़ने के कारण खटीमा सीट प्रदेश में सबसे ज्यादा हॉट सीटों में से एक थी। सुबह आठ बजे शुरू हुई मतगणना के बाद अधिकतर समय धामी अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के युवा प्रत्याशी कापड़ी से अधिकतर समय पीछे रहे। मतगणना पूरी होने के बाद कापड़ी 47626 और धामी को 40675 वोट मिले। इस चुनाव में धामी का हारना भाजपा के लिए बड़ी झटका है।

 2012 से अब तक कोई सीएम नहीं बचा पाया अपनी सीट
देहरादून। उत्तराखंड में 2012 से अब तक मुख्यमंत्री अपनी विधानसभा सीट बचाने में नाकाम रहे हैं। सबसे पहले 2012 में भुवन चंद्र खंडूरी, फिर 2017 में हरीश रावत और अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी विधानसभा सीट को नहीं बचा पाए। धामी की हार के साथ चर्चा भी तेज हो गई है कि उत्तराखंड में अब भाजपा का सीएम पद का चेहरा कौन होगा। विधानसभा शुरू होने से छह महीने पहले भाजपा ने सीएम बदल कर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया था। इतना ही नहीं भाजपा ने धामी के चेहरे पर ही विधानसभा चुनाव लड़ मगर वह खटीमा से चुनाव हार बैठे।

 

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