उत्तराखण्ड

वीआईपी कल्चर से दूर हैं मुख्यमंत्री धामी की मां

दुनिया की चकाचौंध पर भारी उनका यह रहन-सहन
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मां उन नौकरशाहों के लिए एक सीख हैं, जो अपने खुद के अति विशिष्ट होने का फायदा उठाने से नहीं चूकते। मुख्यमंत्री की मां आम लोगों की तरह चिकित्सा परामर्श के लिए स्वयं डॉक्टरों के पास जाती हैं। जबकि प्रोटोकॉल के तहत डॉक्टर चेकअप करने के लिए उनके आवास पर भी आ सकते हैं। फिर भी वह इसका लाभ नहीं लेती हैं। बेटे के मुख्यमंत्री होने के बावजूद मां और परिजनों का रहन सहन आमजन की तरह ही है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मां और उनकी बड़ी बहन देश के जाने माने न्यूरो सर्जन डॉ. महेश कुड़ियाल से चिकित्सा परामर्श लेने के लिए सीएमआई नर्सिंग होम पहुंचीं। उनकी वहां सहज मौजूदगी सबको चकित करने वाली थी। प्रोटोकाल के तहत डॉक्टर उनके आवास पर आ सकते हैं, लेकिन वे स्वयं अस्पताल जाती हैं। ऐसे में उन्हें अस्पताल में बिल्कुल आम लोगों की तरह व्यवहार करता देख सभी जगह उनकी चर्चा हो रही है। भाजपा प्रवक्ता रविंद्र जुगरान ने कहा कि नौकरशाहों व अधिकारियों को डॉ. निधि उनियाल प्रकरण से कड़ा संदेश देने की जरूरत है। सरकार को भी इस मामले में नियमानुसार सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। डॉ. उनियाल मामले से उत्तराखंड के लोगों में भारी आक्रोश है। मख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दून अस्पताल की वरिष्ठ महिला डॉक्टर का तबादला रद्द करने के साथ ही मुख्य सचिव को प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराने के निर्देश दिए हैं। आरोप है कि स्वास्थ्य सचिव की पत्नी से हुए विवाद के बाद दून अस्पताल की वरिष्ठ महिला डॉक्टर निधि उनियाल का राजकीय मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा तबादला (संबद्धीकरण) कर दिया गया था, इससे नाराज डॉक्टर ने पद से इस्तीफा दे दिया था। राजकीय दून मेडिकल कालेज अस्पताल की वरिष्ठ फिजिशियन एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.निधि उनियाल का आरोप है कि सचिव पंकज पांडे की पत्नी की तबीयत जांचने के लिए उन्हें सचिव के घर जाने को कहा गया था। सचिव के आवास पहुंचने के बाद उन्होंने अपने स्टाफ को बीपी इंस्टूूमेंट लाने को कहा, जो बाहर कार में छूट गया था।

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