48 प्रतिशत लाभार्थी ही राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी से परिचित, योजना को अधिक समावेशी बनाने के लिए लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना जरूरी
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में केवल 48 प्रतिशत लाभार्थी राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी के बारे में पूरी तरह से अवगत हैं। वन नेशन वन राशन योजना (व्छव्त्ब्) को और अधिक समावेशी बनाने के लिए लोगों के बीच जागरूकता बढ़ानी होगी। आंध्र प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में किए गए एक अध्ययन के अनुसार इन पांच राज्यों में 31 प्रतिशत लाभार्थी आंशिक रूप से जागरूक हैं जबकि कम से कम 20 प्रतिशत इस योजना से पूरी तरह अनजान हैं। ओएनओआरसी के तहत राशन कार्ड रखने वाले लाभार्थी देशभर में किसी भी उचित मूल्य की दुकान से अपना मासिक खाद्यान्न कोटा ले सकते हैं। आधार से जुड़े बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण के जरिये लाभार्थी की पहचान की जाती है। अध्ययन के अनुसार, पोर्टेबिलिटी का उपयोग करने वाले लगभग 88 प्रतिशत परिवार अपना राशन लेने में सफल रहे जबकि चार प्रतिशत खाद्यान्न नहीं ले सके। जिन लोगों को राशन नहीं मिला, उसमें तकनीकी दिक्कत और कोटेदारों के पास खाद्यान्न नहीं होने जैसे कारण प्रमुख थे। लगभग दो प्रतिशत लाभार्थियों ने अभी तक अपने राशन कार्ड को आधार से नहीं जोड़ा है। विधवा, तलाकशुदा या पतियों से अलग हो चुकी महिलाओं को अपने राशन कार्ड अपडेट कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कोटेदारों की बात करें तो लगभग लगभग 97 प्रतिशत राशन पोर्टेबिलिटी से परिचित हैं। हालांकि, इनमें से 74 प्रतिशत ही यह बात जानते हैं कि अंतरराज्यीय पोर्टेबिलिटी संभव है।