पाकिस्तान में बंदी सैनिकों को वापस लाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए हुआ तैयार
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट एक सैन्य अधिकारी की पत्नी की उस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया जिसमें 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान द्वारा युद्धबंदियों (पीओडब्ल्यू) के रूप में अवैध रूप से हिरासत में रखे गए उनके पति और अन्य सैन्य अधिकारियों को वापस लाने की मांग की गई है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने मेजर कंवलजीत सिंह की पत्नी जसबीर कौर की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। मेजर सिंह को युद्धबंदियों में शामिल माना जाता है।
याचिका में केंद्र को उचित न्यायिक उपायों के साथ पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका के मुताबिक पाकिस्तान की यातनापूर्ण हिरासत में मौजूद भारतीय युद्धबंदियों की रिहाई के लिए श्युद्धबंदियों के लिए जिनेवा संधिश् के तहत ये न्यायिक उपाय अनिवार्य और बाध्यकारी प्रकृति के हैं। याचिका में केंद्र को कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा कैप्टन सौरभ कालिया को पकड़ने, प्रताड़ित करने और हत्या करने की परिस्थितियों में सेना के नियमों के अनिवार्य प्रविधानों के तहत कोर्ट आफ इंक्वायरी की कार्यवाही पेश करने का निर्देश देने की भी गुहार लगाई गई है।
याचिकाकर्ता जसबीर कौर की ओर से पेश अधिवक्ता नमित सक्सेना ने दलील दी कि पिछले 50 वर्षो में युद्धबंदियों के मुद्दे पर बहुत कम काम किया गया है। याचिका में कहा गया है, श्याचिकाकर्ता खुद आइसी-14590 मेजर कंवलजीत सिंह की पत्नी हैं, जिनके पाकिस्तान सरकार की अवैध हिरासत में होने के सुबूत हैं और ऐसा सुना भी गया है।
इसमें कहा गया है कि परिस्थितियों के कारण जनहित याचिका की आवश्यकता है क्योंकि 54 युद्धबंदियों के 1971 के युद्ध के बाद से पाकिस्तान सरकार की यातनापूर्ण नजरबंदी के तहत होने के साक्ष्य हैं और इस बारे में सुना जाता रहा है। याचिका में अदालत से केंद्र को अंतरराष्ट्रीय रेडक्रास से वह सूची प्राप्त करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है जो उन युद्धबंदियों की थी जिन्हें 1971 के युद्ध के बाद के वर्षों में पाकिस्तान द्वारा प्रत्यावर्तित किया जाना था, लेकिन जिन्हें अंततः पीओडब्ल्यू की तीसरी ट्रेन में निर्धारित रूप में प्रत्यावर्तित नहीं किया गया।