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आतंकियों और उसके समर्थकों का तैयार हो रहा है डाटाबेसय हथियारों की तस्करी करने वालों पर भी कसेगा शिकंजा

नई दिल्ली। आतंकवाद को मानवाधिकारों का सबसे बड़ा रूप बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई मानवाधिकारों के विपरीत नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि देश भर में आतंकियों और उनके समर्थकों का डाटाबेस तैयार हो रहा है। इसके साथ ही मादक पदार्थों व हथियारों की तस्करी, हवाला, नकली नोट के धंधे से जुड़े अपराधियों का डाटाबेस तैयार करने का काम भी चल रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्री शाह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के 13वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करने में एनआइए की अहम भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, श्आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई मानवाधिकारों के विपरीत नहीं हो सकती। आतंकवाद का समूल नाश मानव अधिकारों की रक्षा के लिए बहुत जरूरी है।
आतंक के जुड़े मामले में सटीक जांच और पुख्ता सुबूतों के आधार पर 93 प्रतिशत से अधिक आरोपियों को सजा दिलाने में एनआइए की सफलता को अहम बताया। जांच को डिजिटल, फारेंसिक, डाटा और इंफोर्मेशन पर आधारित बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में अलग-अलग क्षेत्रों में राष्ट्रीय डाटाबेस बनाने का काम सही दिशा में चल रहा है।
एक बार डाटाबेस तैयार हो जाने के बाद केंद्र के साथ-साथ राज्य की पुलिस एजेंसियों को जांच में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि युवाओं को आतंकी गतिविधियों से जोड़ने के आतंकी संगठनों के तौर तरीकों के विश्लेषण के लिए अलग से माडस आपरेंडी ब्यूरो बनाया गया है। इससे युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने से रोकने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग के मामलों की जांच कर ओवरग्राउंड वर्कर्स, स्लीपर सेल और सफेदपोशों को बेनकाब करने के लिए एनआइए की तारीफ की। उन्होंने कहा कि एनआइए ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने की दिशा में बहुत बड़ी सहायता की है।

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