उत्तराखण्ड

तलत अजीज के धमाकेदार प्रस्तुति के साथ विरासत 2022 का हुआ समापन

  • कोरोना महामारी के बाद पहली बार दुकानदारों ने आकर्षक बिक्री का आनंद लिया
  • विरासत में दिखी जौनसार बावर के लोक नृत्य एवं गीतों की झलकियां
    देहरादून। विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल 2022 के पंद्रहवें दिन एवं समापन कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. बी. आर. अंबेडकर स्टेडियम (कौलागढ़ रोड) देहरादून में दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं लायक राम जौनसार बावर संस्कृति रंगमंच के द्वारा जौनसार जनजाति के प्रसिद्ध नृत्य तांडी, हारूल एवं झेंता जैसे लोक गीतों की प्रस्तुति नृत्य के साथ दिया गया। इस प्रस्तुति में कलाकार जौनसार के वेशभूषा एवं पोशाक में दिखें। इस समूह में 20 कलाकारों ने एक साथ अपनी प्रस्तुतियां दी और उन्होंने उत्तराखंड के पारंपरिक हाकलियात सांस्कृतिक एवं वाद्य यंत्र रणसिंधा, ढोल एवं दमाऊ का उपयोग किया।

    वही आखरी प्रस्तुति में उन्होंने जौनसार के प्रसिद्ध हाथी नृत्य का भी मंचन किया। हाथी नृत्य जो दिवाली उत्सव के दौरान मनाया जाता है और यह आमतौर पर पारंपरिक दिवाली के एक महीने के बाद पहाड़ों में लोग मनाते है क्योंकि ग्रामीण उन दिनों कटाई में व्यस्त होते हैं। लायक राम जौनसार बावर संस्कृति रंगमंच के प्रस्तुति में लायक राम दलनायक, मायाराम ढोलवादक और सन्नी दयाल लोकगायक थें। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अन्य प्रस्तुतियों में भारत के मशहूर गजल गायक तलत अजीज ने अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने स्व जगजीत जी को याद किया एवं ’कैसे सुकून पाउ’ गजल प्रस्तुत की। अनकी अगली गजल आज जाने कि जिद न करो, उसके बाद उन्होंने यूॅ ही पहलू में बैठे रहो, कभी ख्वाब में या ख्याल में, और खूब सूरत हैं आखें तेरी रात जागना छोड़ दे पर अपनी प्रस्तुति दी। उनके साथ सा रे गा मा फेम जीतू शंकर तबले पर थे, गिटार रतन प्रसन्ना ने बजाया, कीबोर्ड अजय सोनी ने, अतुल शंकर ने बांसुरी बजाई जबकि हारमोनियम खुद तलत अजीज साहब ने बजाया।

    बताते चले कि तलत अजीज का जन्म हैदराबाद में संगीत और उर्दू साहित्य के प्रेमियों के परिवार में हुआ था। तलत अजीज ने संगीत में अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण किराना घराने से लिया एवं उन्हें मुख्य रूप से उस्ताद समद खान और फिर उस्ताद फैय्याज अहमद खान से प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रारंभिक प्रशिक्षण के बाद, अजीज ने गजल वादक मेहदी हसन से संगीत सीखा। उन्होंने विदेशों में भी अपनी प्रस्तुतियां दी है जिसमें 1986 में अमेरिका और कनाडा के एक संगीत कार्यक्रम में उन्होंने भारत का प्रतिनिघत्व किया और कार्यक्रमों में अपना मंच साझा कर अपनी प्रस्तुति दी।

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