टिहरी बांध परियोजना में देश की पहली और दुनिया की तीसरी टरबाइन रनर मशीन स्थापित
टिहरी। टिहरी बांध के तहत टीएचडीसी की 5 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले 1 हजार मेगावाट के पीएसपी परियोजना के निर्माण की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए टरबाइन की पहली रनर मशीन को स्थापित कर किया गया है। आगामी दिसंबर तक पहली मशीन को पूरी तरह से बाक्सअप कर दिया जाएगा।
टीएचडीसीआईएल ने टिहरी डैम के पंप स्टोरेज प्लांट में 250 मेगावाट की पहली टरबाइन की रनर मशीन को सफलतापूर्वक लगा दिया है। टिहरी बांध परियोजना में देश की पहली और दुनिया की तीसरी टरबाइन की रनर स्थापित की गई है। टीएचडीसीआईएल के कार्यकारी निदेशक और पीएसपी परियोजना प्रमुख एलपी जोशी ने बताया कि टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट टीएचडीसीआईएल की एक निर्माणाधीन परियोजना है। टिहरी पीएसपी परियोजना में 250 मेगावाट की चार टरबाइन हैं, जो मिलकर कुल 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करती है। टीएचडीसीआईएल ने टिहरी पीएसपी की 250 मेगावाट की पहली टरबाइन के रनर मशीन की स्थापना का कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसे टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट के निर्माण की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है। भारत के किसी प्रोजेक्ट में ये पहली रनर लगी है। इसके पहले यह फ्रांस और स्पेन में ही लगी है।
टीएचडीसीआईएल में लगी रनर मशीन वैरिएबल स्पीड पर काम करती है, जो अपने आप में विशेष है। ज्ञात हो कि टिहरी बांध परियोजना 2400 मेगावाट की है, जिसमें से एक हजार मेगावाट मुख्य बांध और 400 मेगावाट कोटेश्वर बांध से बिजली उत्पादन हो रहा है। जबकि एक हजार मेगावाट की पीएसपी परियोजना का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था- इस परियोजना में पीएसपी का सिविल कार्य एचसीसी, हाइड्रो और इलेक्ट्रोमैकेनिकल का कार्य जीई हाइड्रो फ्रांस एवं जीई पावर इंडिया कंपनी कर रही है। एक हजार मेगावाट की पंप स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) के निर्माण से कोई भी गांव प्रभावित नहीं हुआ है। परियोजना के मुख्य बांध के अंदर ही विभिन्न सुरंगों और अन्य निर्माण किया जा रहा है। साथ ही टिहरी और कोटेश्वर बांध से बिजली उत्पादन से निकालने वाले पानी को रिसाइकिल कर बिजली का उत्पादन किया जाएगा। परियोजना का निर्माण पूरा होने से देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी होने के साथ ही टीएचडीसी के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ जाएगी। परियोजना से एक हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा, वहीं स्थानीय लोगों को लाभ होगा। बिजली उत्पादन से मिलने वाले राजस्व की दो फीसदी धनराशि सीएसआर मद से बांध प्रभावित क्षेत्र के विकास कार्यों पर खर्च की जाएगी। टिहरी बांध परियोजना के डाउनस्ट्रीम में स्थित कोटेश्वर बांध की झील से अपस्ट्रीम में स्थित टिहरी बांध झील में जल को पंपिंग कर पहुंचाया जाएगा। चार टरबाइनों को चलाकर बिजली उत्पादन किया जाएगा। बिजली उत्पादन ग्रिड की मांग के अनुसार होगा। टीएचडीसी को 2016 में पीएसपी का निर्माण करना था, लेकिन विभिन्न तकनीकी और स्थानीय दिक्कतों के कारण पीएसपी पूरी नहीं हो पाई। यदि अब सब कुछ ठीक रहा तो टीएचडीसी दिसंबर 2022 तक निर्माण कार्य पूरा कर बिजली उत्पादन शुरू कर देगी। कुल मिलाकर टीएचडीसी को इस मशीन के लगने से बड़ी कामयाबी मिली है।