उत्तराखण्ड
लाठियों-मुकदमों से नही दबा सकते जनता की आवाजः कांग्रेस
- जनहित के लिये महिला कांग्रेस गिरफ्तारियां देनें को तैयारः रौतेला
- सरकार महिलाओं को नौकरियों में दे 30 प्रतिशत आरक्षण
देहरादून। उत्तराखंड की महिलाओं ने हमेशा चुनौतियों का मुकाबला कर जन आंदोलनों को मुकाम तक पहुंचाया है। बात चाहे स्वतंत्रता आंदोलन की हो या राज्य गठन के आंदोलन की। महिलाओं ने अपने संघर्ष से इन आंदोलनों को कामयाबी दिलाई है। इसके अलावा प्रदेश में पेड़ को कटाने को रोकने के लिए चिपको आंदोलन और नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के खिलाफ भी महिलाओं ने आवाज को बुलंद किया है। यह बात बुधवार को महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला ने कांग्रेस भवन में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कही। उन्हाने कहा कि उत्तराखंडी महिलाएं अपने सीमित दायरे और सामाजिक रूढ़िवादिता के बावजूद हर समस्या के समाधान के लिए लड़ाई लड़ने में अग्रिम पंक्ति में रही हैं। उन्होंने अपने आंचल को हमेशा ही इंकलाबी परचम बनाया। रौतेला ने कहा कि विगत दिवस महिलाओं को नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण रोक के विरोध में महिला कांग्रेस नेत्रियां मुख्यमंत्री आवास घेराव करने जा रही थी, जिनहे मुख्यमंत्री के इशारे पर बल प्रयोग कर रोका ही नही गया, बल्कि पुलिस ने महिलाओं पर मुकदमें भी दर्ज कर लिये।
रौतेला नें कहा की महिला कांग्रेस नेत्रियां मुख्यमंत्री आवास अपनी बात रखनें गयी थी लेकिन मुख्यमंत्री से वार्ता ना होनंे पर महिलाओं नें शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करते हुए महिलाओं को नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण की मांग की।
लेकिन सरकार के इशारे पर पुलिस ने पहले बल प्रयोग कर महिलाओं के साथ दुर्रव्यवहार किया, प्रदर्शन करनें से जबरन रोका। जिसका महिला कांग्रेस नें पुरजोर विरोध किया, इसके बाद पुलिस ने संगीन धाराओं में महिलाओं पर मुकदमें दर्ज किये गये। उन्होनें कहा उत्तराखण्ड महिला कांग्रेस प्रदेश की महिलाओं की हक की लड़ाई बदस्तूर जारी रखेंगी और सरकार द्वारा लादे गये मुकदमें से डरनें वाली नहीं हैं। रौतेला नें सरकार पर अदालत में कमजोर पैरवी करने का आरोप लगाया था और सरकार से सुप्रीम कोर्ट जाने की मांग की थी। पत्रकार वार्ता में प्रदेश उपाध्यक्ष आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा, चन्द्रकला नेगी, पुष्पा पंवार, राधिका शर्मा, शिवानी थपलियाल, सरोज देवराड़ी, मीना बिष्ट व अनुराधा तिवाड़ी आदी मौजूद रहीं।