सीडीएस अनिल चौहान के पैतष्क गांव गवांणा में खुशी का माहौल श्रीनगर। वीर भूमि के नाम से कह जाने वाला उत्तराखंड़ के नाम एक और गौरव जुड़ गया है। जनरल विपिन रावत के बाद (सेनि.) लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान दूसरे चीफ ऑफ डिफेंस (सीडीएस) नियुक्त किए गये है। इससे पहले गढ़वाल के ही सैण गांव के जनरल विपिन रावत को सीडीएस थे। बीते दिसंबर माह में हेलीकॅाप्टर दुर्घटनाग्रस्त में वीरगति का प्राप्त हुए। नौ महिने के बाद एक बार फिर देश के सीडीएस की नियुक्ति पौड़ी जिलें के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को मिली। खासतौर पर उत्तराखण्ड़ के गढ़वाल से कई ऐसे अधिकारी निकले हैं जो सेना में उच्च पदों पर काबिज हुए हैं। इनमें जो सबसे पहला नाम आता है विपिन रावत का जो देष के पहले सीडीएस रहे।
वहीं देश की सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा संभाले एनएसए अजीत डोभाल भी गढ़वाल ही हैं। इसके साथ ही पूर्व कोस्ट गार्ड चीफ, पूर्व डीजीएमओ एके भट्ट समेत कई ऐसे अधिकारी निकले ओर देश की सुरक्षा व्यवस्था में अपना अहम योगदान दिया है। विकटोरिया क्रांस गब्बर सिंह, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली व 1962 के महानायक दरबान सिंह से लेकर अब तक सीडीएस अनिल चौहान पहाड़ों का पसीना हमेशा सीमा तान कर रहा सीना। देश की सुरक्षा के मोर्चे पर उत्तराखंड राज्य के दर्जनों जांबाज बेटे भारत मां की रक्षा में सर्वोत्तम पद पर रहते हुए अपना अहम योगदान दे चुके हैं। इनमें नया नाम देश के नए सीडीएस ले जनरल अनिल चौहान (सेनि) का भी शामिल हो गया है। इनमें से कई सैन्य अफसर सर्जिकल स्ट्राइक में भी मुख्य भूमिका में रहते हुए चिर प्रतिद्वंदीयों को सबक सिखा चुके है। इससे पहले पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन चंद्र जोशी, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी, पूर्व रॉ प्रमुख अनिल कुमार धस्माना, तटरक्षक बल के मुखिया रहे राजेंद्र सिंह व डीजीएमओ की जिम्मेदारी संभाल चुके ले. जनरल अनिल कुमार भट्ट भी उत्तराखंड़ से शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बखुबी जानते हैं कि देश की सुरक्षा में मुख्य भूमिका अदा करने में उत्तराखंड़ का लाल सौआने सच्चे साबित हुए है। इसलिए उन्होने उत्तराखंड़ के माटी के लाल को यह जिम्मेवारी सौंपी है।