उत्तराखण्ड

आंदोलनकारी जुगरान का छलका दर्द, कहा- उत्तराखंड गठन के 22 वर्ष बाद भी नहीं हुए ऐसे प्रयास, 1994 और उसके बाद के जन्मे बच्चों को पता चल सके उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन का इतिहास

  • 30 वर्ष और उससे कम उम्र के 99 प्रतिशत बच्चों को नहीं है इस आंदोलन की कोई जानकारी

  • उत्तराखंड निर्माण की गौरव गाथाओं से आने वाली पीढ़ियों  को भिज्ञ कराने के लिए विद्यालय और विश्वविद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग

देहरादून। उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी एवं आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष रवींद्र जुगरान ने कहा कि उत्तराखंड गठन को 22 वर्ष होने जा रहे हैं पर अभी तक इस प्रकार के कोई प्रयास नहीं हुए कि सन् 1994 और उसके बाद के जन्मे बच्चों को उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन का इतिहास पता चल सके। नतीजातन 30 वर्ष की उम्र और उससे कम उम्र के 99 प्रतिशत  नौजवानों को उत्तराखंड राज्य निर्माण के ऐतिहासिक, अविस्मरणीय आंदोलन की कोई जानकारी नहीं है। उन्हें नहीं मालूम की अलग उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए चला आंदोलन अनेक मायनों में राष्ट्रीय ,अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनूठा,अजूबा और अविस्मरणीय है, जिसे हम भूतो न भविष्यती भी कह सकते हैं।   सरकारी प्रायोजित आतंकवाद, दमन, उत्पीड़न, शहादतों और अपमान झेलने के बाद भी देवभूमि उत्तराखंड की जनता ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर अलग उत्तराखंड राज्य हासिल किया।

जुगरान ने कहा कि समय की मांग है और वक्त आ गया है  कि आने वाली पीढ़ियों को उत्तराखंड निर्माण की गौरव गाथाओं से भिज्ञ कराने के लिए इसे विद्यालय और विश्वविद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल  किया जाय व 09 नवंबर को प्रत्येक वर्ष इस संदर्भ में विद्यालयों के अंदर प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हो, जिसमें उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन की गौरव गाथाओं का वर्णन हो। जिस भावी पीढ़ी के भविष्य के दृष्टिगत अलग उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए आंदोलन चला, यह हमारा दुर्भाग्य व हमारे बड़ी भूल  है  कि  हम उस पीढ़ी को यह सब बताने में पूरी तरह से असफल रहे हैं।

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