उत्तराखण्डधर्म - संस्कृति

विधानसभा का शीतकालीन सत्रः सख्त धर्मांतरण विरोधी विधेयक सदन में हुआ पेश, प्रदेश में धर्मांतरण को बनाया गया एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध

  • नए कानून में जबरन धर्मांतरण कराने पर 10 साल की सजा का प्रावधान   

  • बाले धर्मस्व मंत्री महाराज, चीन-नेपाल से सटा होने के चलते प्रदेश में बने रहते हैं धर्मांतरण के आसार

देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा के सत्र के दौरान कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2022 को सदन के पटल पर रखा। महाराज ने कहा कि उत्तराखंड चीन और नेपाल से सटा हुआ राज्य है, इसके चलते प्रदेश में धर्मांतरण किए जाने के आसार बने रहते हैं। इसलिए इस कानून को और भी सशक्त बनाया गया है। महाराज ने बिल के उद्देश्यों और कारणों को बताते हुए कहा कि, भारत के संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 और 28 के तहत, धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत, प्रत्येक धर्म के महत्व को समान रूप से मजबूत करने के लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2018 में कुछ कठिनाइयों को दूर करने के लिए संशोधन आवश्यक है।
उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2022 में गैर-कानूनी धर्मांतरण को एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाया गया है। कानून को और भी सशक्त बनाने के लिए इसकी सजा को 2 से लेकर 7 साल तक निर्धारित कर दिया गया है. अपराधी पर 25 हजार रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा। धर्मांतरण कानून में सख्त संशोधन किए गए हैं, जिसके तहत अब से जबरन धर्म परिवर्तन संज्ञेय अपराध होगा, नए कानून में जबरन धर्मांतरण कराने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है। विधेयक के ड्राफ्ट में कहा गया है, ‘कोई भी व्यक्ति, सीधे या अन्यथा, किसी अन्य व्यक्ति को एक धर्म से दूसरे धर्म में गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी धोखाधड़ी के माध्यम से परिवर्तित नहीं करेगा। कोई भी व्यक्ति इस तरह के धर्म परिवर्तन को बढ़ावा नहीं देगा, मना नहीं करेगा या साजिश नहीं करेगा। उत्तराखंड में वर्ष 2018 में धर्मांतरण कानून अस्तित्व में आया था लेकिन, उस वक्त इसे लचीला कहा जा रहा था, क्योंकि अब तक यह एक जमानती अपराध था, मगर 16 नवंबर 2022 को उत्तराखंड की धामी सरकार की कैबिनेट बैठक में इसे यूपी में लागू धर्मांतरण कानून की तर्ज पर कठोर बनाने की मंजूरी दे दी गई। इसके बाद मंगलवार को विधानसभा सत्र के पहले दिन धर्मांतरण कानून को लेकर संशोधन के साथ सदन के पटल पर रखा गया। यह कानून लागू होने के बाद से प्रदेश में अब तक धर्मांतरण के सिर्फ 5 मामले दर्ज हुए हैं और इन मामलों की जांच पुलिस कर रही है। उत्तराखंड में धर्मांतरण को लेकर अब तक सिर्फ 5 मामले पुलिस में दर्ज किए है, इसमें तीन हरिद्वार से और दो देहरादून से मामले दर्ज किए गए हैं। ये सारे मामले 2018 में बने धर्मांतरण कानून को लेकर दर्ज किए गए हैं।

सदन में पेश किए गए 9 विधेयक
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक सहित कुल 9 विधेयक पेश किए गए।
1 आगरा और आसाम सिविल न्यायालय (उत्तराखंड संशोधन और अनुपूरक उपबन्ध) विधेयक, 2022
2 उत्तराखंड दुकान व स्थापन (रोजगार विनियम और सेवा- शर्त) (संशोधन) विधेयक,
3 पेट्रोलियम व ऊर्जा अध्ययन विश्विद्यालय (संशोधन) विधेयक 2022,
4 उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022
5 भारतीय स्टाम्प ( उत्तराखण्ड संशोधन) विधेयक, 2022
6 उत्तराखंड माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2022
7 उत्तराखण्ड कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2022
8 उत्तराखण्ड जिला योजना समिति (संशोधन) विधेयक, 2022
9 उत्तराखण्ड पंचायतीराज (संशोधन) विधेयक, 2022

छह विधेयक बनाए गए अधिनियम
उत्तराखंड में 6 विधेयक अधिनियम बनाए गए। जिसमें उत्तराखंड विनियोग विधेयक 2022 बना पांचवां अधिनियम बनाया गया। उत्तराखंड अग्निशमन एवं आपात सेवा अग्नि निवारण और अग्नि सुरक्षा (संशोधन) विधेयक 2022 को छठवां अधिनियम बनाया गया। उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि ब्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक 2022 सातवां अधिनियम बनाया गया।
सदन में उत्तराखंड उधम एकल खिड़की सुगमता और अनुज्ञापन (संशोधन) विधेयक 2022 बना आठवां अधिनियम बनाया गया। औद्योगिक विवाद (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक 2020 बना नवां अधिनियम बनाया गया। उत्तराखंड सिविल विधि (संशोधन) विधेयक 2021 बना दसवां अधिनियम बनाया गया।

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