उत्तराखण्ड

भाजपा ने किया पूर्व सीएम के बयान पर पलटवार, हरदा का इनाम नौटंकी, तत्कालीन उपाध्यक्ष से पूछकर निकल सकता है हल, कहा – बग़ल में छोरा और नगर में ढिंढोरा  कर रहे चरितार्थ 

  • बोले, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष इनाम के सबसे सुयोग्य हकदार

  • नैनीताल हाईकोर्ट की बिल्डिंग उद्योगपतियों को सौंपने को लेकर बयान से  फैलाया जा रहा भरम

देहरादून। भाजपा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम हरीश रावत  ने  मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर इनाम घोषित करने को नौटंकी बताते हुए कहा कि वह भी जानते हैं कि इसके लिए उनकी पार्टी के तत्कालीन प्रदेश उपाध्यक्ष इस इनाम के सुयोग्य हकदार हैं। अगर वह तत्कालीन उपाध्यक्ष से बात कर ले तो बात न दूर तक जायेगी और घर मे ही मसला हल हो जायेगा।
हरदा बगल मे छोरा और नगर मे ढिंडोरा की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी  मनवीर चौहान ने तंज कसते हुए कहा कि  इनाम के हकदार इस पदाधिकारी को तो कांग्रेस पहले ही सत्य उजागर करने की सजा निलंबित कर दे चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सहित कांग्रेस मे भी हरीश रावत हाशिये पर चल रहे हैं । वह अपनी गलतियों को भाजपा के मत्थे मढकर दोबारा संघर्ष की राह पर हैं । उन्होंने कहा कि रावत कभी राजनीति से सन्यास का शिगूफा छोड़ते हैं तो कभी उतराखंड के बजाय दिल्ली मे बैठने की बात करते रहे है। जब उनकी नेतृत्व  से मिली हार पर चर्चा होती है तो वह भाजपा की ओर दुष्प्रचार का राग अलापने लगते है। लेकिन घपले घोटालो पर पूर्व की भाँति अब भी आँख बंद कर बैठे हैं।
चौहान ने हरीश रावत के नैनीताल हाईकोर्ट बिल्डिंग उधोगपतियों को सौपने वाले बयान की कड़ी निंदा करते हुए भ्रम फैलाने वाला बताया है । उन्होंने कहा कि  एक और नेता प्रतिपक्ष  यशपाल आर्य व तमाम कांग्रेसी नेताओं ने धामी सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है, वहीं इतने दिनों बाद अब हरदा इसकी इमारत को अडानी व अंबानी को देने की आशंका व्यक्त कर जनता के मन में संशय पैदा करने की असफल कोशिश कर रहे हैं ।
उन्होंने भर्ती प्रकरणों की जांच पर सवाल उठाने पर सख्त आपत्ति जताते हुए कहा कि नियुक्तियों से जुड़े जो भी मामले भाजपा सरकार के संज्ञान में आये हैं, उन पर ऐतिहासिक व कठोरतम कार्यवाही जारी है । जिसको लेकर प्रदेश की जनता संतुष्ट है और कई मौकों पर मुख्यमंत्री धामी की कार्यशैली की प्रशंसा स्वयं हरदा भी कर चुके हैं । ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही और जन-प्रशासनिक सहूलियत के मद्देनजर हाईकोर्ट स्थानान्तरण के कदमों पर आशंका व्यक्त करना साबित करता है कि हरीश रावत भी कांग्रेस पार्टी की तरह कंफ्यूज हैं ।

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