उत्तराखण्ड

जीएसटी अधिनियम 2017 के तहत करापवंचन में लिप्त दोषी 6 फर्माे के संचालनकर्ता को करोड़ों के आईटीसी फर्जीवाड़े में सुनाई गए सजा, 8 माह पूर्व की गई थी आरोपी की गिरफ्तारी

  • पांच साल के कठोर कारावास औेर एक लाख का जुर्माने की सजा सुनाई

  • देश में इस तरह का पहला मामला जिसमें कोर्ट ने सुनाई सजा

देहरादून। राज्य कर विभाग उत्तराखण्ड को आयुक्त राज्य कर के नेतृत्व में एक बड़ी उपलब्धि प्राप्त हुई है। लगभग 8 माह पूर्व आयुक्त राज्य कर के निर्देश पर राज्य कर विभाग की केन्द्रीयकृत आसूचना इकाई देहरादून की ओर से छः फर्मों में करोड़ों रूपये की आईटीसी के फर्जीवाड़े में इन फर्मों के संचालनकर्ता सुरेन्द्र सिंह को गिरफ्रतार किया गया था।
इस मामले में केन्द्रीयकृत आसूचना इकाई देहरादून की ओर से सक्षम न्यायालय में शिकायत दर्ज की गयी थी। जिसके अनुसार लगभग 6 माह के भीतर ही त्वरित सुनवायी करते हुए शनिवार को सुरेन्द्र सिंह को सक्षम न्यायालय की ओर से दोषसिद्ध करार दिया गया है। यह सम्पूर्ण देश में प्रथम मामला है, जिसमें करापवंचन में लिप्त किसी दोषी व्यक्ति को जीएसटी अधिनियम, 2017 के तहत सजा सुनायी गयी है। शनिवार को न्यायालय ने सभी अभिलेखों की जाँच करने के बाद सुरेन्द्र सिंह को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश चन्द आर्य ने 5 वर्ष की कठोर कारावास तथा रू. 1 लाख जुर्माने की सजा सुनायी है। जुर्माना जमा नहीं करने की स्थिति में 3 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
इस प्रकरण की जाँच एवं विवेचना केन्द्रीयकृत आसूचना इकाई राज्य कर उत्तराखण्ड ने की थी, जिसमें डिप्टी कमिश्नर राज्यकर धर्मेन्द्र राज चौहान , विनय पाण्डे व असिस्टेन्ट कमिश्नर राज्य कर मनमोहन असवाल, टीकाराम चन्याल तथा ईशा राज्य कर अधिकारी शामिल रहे।

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