उत्तराखण्डदिल्लीदेहरादूननैनीताल

लोगों को मिली बड़ी राहत: हल्द्वानी के वनभूलपुरा अतिक्रमण मामले पर सुप्रीम रोक, शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

  • राज्य सरकार व रेलवे को जारी किया नोटिस

  • मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी

  • प्रभावितों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई खुशी

देहरादून। वनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले और बुलडोजर की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। करीब आधे घंटे चली बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। साथ ही मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और रेलवे को भी नोटिस भी जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी। वनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद स्थानीय लोगों में खुशी की लहर है। स्थानीय लोगों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा किया है।
लोगों का कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से काफी उम्मीदें थी। सुप्रीम कोर्ट ने मानवता को देखते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है। उन्होंने कहा ये फैसला वनभूलपुरा की आम जनता की जीत है। उन्होंने कहा अपनी जीत के लिए पिछले कई दिनों से वे ऊपर वाले से दुआ कर रहे थे। आज उनकी दुआ काम आई है। सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद लोगों ने एक दूसरे को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ मिला है। उन्होंने कहा इसकी लड़ाई आगे भी लड़ी जानी है।
लोगों ने कहा जो लोग सुप्रीम कोर्ट में आम जनता के लिए पैरवी कर रहे हैं वो यहां के लोगों के लिए मसीहा हैं। उन्होंने कहा अगर सुप्रीम कोर्ट से फैसला उनके पक्ष में नहीं आता तो यहां के हजारों लोगों के आशियाने उजड़ जाते। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी को स्वागत करना चाहिए।
बता दें सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जे कौल ने कहा हमें इस मामले का एक व्यावहारिक समाधान खोजना होगा। इस मामले में कई कोण हैं, भूमि की प्रकृति, प्रदत्त अधिकारों की प्रकृति इन पर विचार करना होगा। हमने यह कहकर शुरू किया कि हम आपकी ज़रूरत को समझते हैं लेकिन उस ज़रूरत को कैसे पूरा करें। इस पर एएसजी ने कहा कि हमने उचित प्रक्रिया का पालन किया है। इस पर न्यायाधीश कौल ने कहा कि कोई उपाय खोजना होगा। एएसजी ने कहा कि हम किसी भी पुनर्वास के आड़े नहीं आ रहे हैं। जे कौल का कहना है कि जो लोग इतने सालों से रुके हुए हैं, उनके लिए कुछ पुनर्वास योजना होनी चाहिए। इस मामले में उन्होंने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रातों-रात 50 हजार लोगों को उजाड़ा नहीं जा सकता, ऐसे लोगों का हटाया जाना चाहिए जिनका भूमि पर कोई अधिकार नहीं है और रेलवे की आवश्यकता को पहचानते हुए उन लोगों के पुनर्वास की आवश्यकता है।

चार हजार से अधिक घरों पर होनी थी कार्रवाई
देहरादून। नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर करीब चार हजार से ज्यादा घर बने हुए है। जिन्हें हटाने के लिए रेलवे ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में रेलवे को इन घरों को खाली कराने का आदेश दिया था। रेलवे ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रणकारियों को सार्वजनिक नोटिस जारी किया था। इसमें हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाया जाना है। खुद अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिन का समय दिया गया था।
रेलवे की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया था कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 87.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा। सात दिन के अंदिर अतिक्रमकारी खुद अपना कब्जा हटा लें, वरना हाईकोर्ट के आदेशानुसार अतिक्रमण को तोड़ा दिया जाएगा।

सीएम धामी ने कहा,  कोर्ट के अनुसार ही होगी कार्रवाई
देहरादून। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीएम धामी का बयान भी सामने आया है। सीएम धामी ने कहा हमने पहले भी कहा है कि यह रेलवे की जमीन है। हम कोर्ट के आदेश के अनुसार ही आगे बढ़ेंगे।

स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा, वनभूलपुरा के शाहीन बाग बनने से पहले सरकार चलाए बुलडोजर
हरिद्वार। उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर में रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। भीषण ठंड के बीच जहां लोग सड़क पर प्रदर्शन कर अपने आशियाना बचाने की गुहार लगा रहे हैं, वहीं पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर अब सबकी नजर बनी हुई है। वहीं इस बीच काली सेना के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप का तीखा बयान सामने आया है। स्वामी आनंद स्वरूप ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि जल्द से जल्द इस अवैध बस्ती के अतिक्रमण हटाया जाए।
स्वामी आनंद स्वरूप का कहना है कि इस तरह की बस्ती देवभूमि उत्तराखंड में किस तरह बस गई, यह बहुत बड़ा सवाल है। यह तो सिर्फ एक बस्ती है जो हल्द्वानी में है, बल्कि कई शहरों में ऐसी और बस्तियां भी हैं। आज हल्द्वानी में 4500 घरों में से लगभग 3500 घर रोहिंग्या मुसलमानों के हैं। उसके बावजूद भी सरकार अभी भी बुलडोजर चलाने में डर रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देवभूमि उत्तराखंड में हिंदुत्व का भविष्य कितने खतरे में है। स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि अब आलम यह है कि पूरे देश से हल्द्वानी के लिए मुसलमान जुटने शुरू हो गए हैं। सरकार को चाहिए यदि उत्तराखंड में संभव नहीं है तो उत्तर प्रदेश की सहायता लेकर बुलडोजर चलाकर और भू माफियाओं पर मुकदमा दर्ज कर इन्हें जेल में डालना चाहिए। ओवैसी पर बोलते हुए स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि जहां भी इस तरह के मामले आते हैं, वहां पर ओवैसी खड़े हो जाते हैं और उल जलूल बयान देने लगते हैं। मुझे नहीं पता कि ओवैसी ने संविधान की कसम ली है या फिर कुछ और की। लेकिन उत्तराखंड में शाहीन बाग बाग जैसी स्थिति नहीं बनने दी जाएगी।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट बोले, अदालत के निर्णय का स्वागत, अनुपालन सबका दायित्व
देहरादून। भाजपा ने हल्द्वानी के वनभूलपुरा मामले मे अदालत के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी थी कि अदालत का निर्णय सर्वाेपरि है और सबको उसका सम्मान करना चाहिए। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि आज अदालती लडाई मे जूझ रहे हजारों परिवारों के सामने यह समस्या पूर्ववर्ती कांग्रेसी सरकारों की देन है। पूर्व मे इस मुद्दे का हल निकाल लिया जाता तो आज यह समस्या खड़ी नही होती। उन्होंने कहा कि अदालत ने अभी राज्य सरकार और रेलवे से जवाब मांगा है और उन्हे पूरी उम्मीद है कि पीड़ितों की समस्या का समाधान हो सकेगा। मामले मे राज्य सरकार पार्टी नही है और न ही राज्य का विषय, लेकिन भाजपा को उन हजारों परिवारों से सहानुभूति है। दूसरी ओर कांग्रेस इसे राजनैतिक अवसर के तौर पर देऽती रही है और संभव है कि उसकी कोशिशों पर विराम लग सकेगा। उन्होंने कहा कि अदालत का फैसला सर्वमान्य है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button