जांच में मरीजों का इलाज ना करने और क्लेम करने के आरोप सही पाए जाने के बाद राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने कालिंदी अस्पताल की सूचीबद्धता की गई निरस्त
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना , अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना एवं राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत मरीजों के उपचार को लेकर गड़बड़ी आई सामने
देहरादून । राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण उत्तराखंड की ओर से संचालित स्वास्थ्य योजनाओं प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना और राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत मरीजों का इलाज ना करने और क्लेम करने के आरोप जांच में सही पाए जाने के बाद सूचीबद्ध चिकित्सालय कालिंदी हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट लाइन जीवनगढ़ चकराता रोड विकासनगर की सूचीबद्धता तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गई है।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण उत्तराखंड के अपर निदेशक प्रशासन प्राधिकृत अधिकारी अतुल जोशी के मुताबिक
विकास नगर में स्थित कालिंदी हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से किए गए क्लैम्स की जांच में
यह मामला सामने आया है कि हॉस्पिटल मे 243 केसो जिसमें 173 केस यूरोलॉजी स्पेशलिस्टी , 48 जनरल मेडिसिन स्पेशलिटी तथा 22 केस जनरल सर्जरी स्पेशलिस्टी में डॉ एचएस रावत को ट्रीटिंग डॉक्टर दर्शाया गया है तथा टीएमएस पोर्टल के तहत ओटी नोट्स , क्लीनिकल नोट्स तथा डिस्चार्ज समरी में भी डॉ. रावत के नाम एवं हस्ताक्षर से क्लेम पेपर्स टीएमएस में अपलोड किए गए हैं। हॉस्पिटल के Claims की ऑडिट/ जांच के दौरान यह पाया गया कि इन केसो में डॉ. रावत ने उपचार नहीं किया है ।इसकी पुष्टि खुद डॉ. एचएस रावत द्वारा भी की गई। डॉ रावत ने लिखित में यह घोषित किया कि इन 243 मरीजों का उपचार उनके द्वारा नहीं किया गया है । डॉ रावत ने यह भी लिखित रूप से कहा कि ओटी नोट्स ,क्लीनिकल नोट्स तथा डिस्चार्ज समरी उनके हैंडराइटिंग में नहीं है और ना ही इनमें से किसी paper पर उनके हस्ताक्षर हैं । डॉ रावत ने 243 केसो के बारे में दिए गए लिखित कथन मे यह दर्शाया है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अपर निदेशक प्रशासन जोशी का कहना है कि डॉ रावत कालिंदी हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में कार्यरत नहीं है तथा वे मेडिकेयर हॉस्पिटल सेलाकुई देहरादून में डॉक्टर हैं तथा वे मेडिकेयर हॉस्पिटल के स्वामी हैं। डॉ रावत ने इस बारे में बाकायदा लिखित में यह बात कही है। हॉस्पिटल के क्लेमस के ऑडिट/ जांच से यह साफ हुआ है कि हॉस्पिटल में इन 243 में डॉ रावत से उपचार नहीं कराया है जबकि टीएमएस में उन्हें ट्रीटिंग डॉक्टर बताया गया है तथा उनके फर्जी हस्ताक्षर करके क्लेम पेपर्स दाखिल किए गए हैं ।जिसकी पुष्टि स्वयं डॉ रावत ने लिखित रूप से की है। हॉस्पिटल के इस आचरण से यह साफ होता है कि हॉस्पिटल ने फर्जी मेडिकल पेपर्स दाखिल करके क्लेम प्राप्त करने के लिए न केवल राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ कपट पूर्ण व्यवहार व धोखाधड़ी की है बल्कि यह रोगियों के समुचित उपचार व उनके जीवन की सुरक्षा के नजरिए से भी एक गंभीर आपराधिक कृत्य है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण का कहना है कि हॉस्पिटल द्वारा डॉक्टर के फर्जी नाम एवं हस्ताक्षर से मरीजों का उपचार अत्यंत गंभीर मामला है। हॉस्पिटल पर लगाया गया यह आरोप इस प्रकृति का है जो मरीजों के स्वास्थ्य और जीवन के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। इसलिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने लंबे विचार विचार और परीक्षण के बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की हॉस्पिटल की इंपैनलमेंट और डीइंपैनलमेंट की गाइडलाइन के तहत हॉस्पिटल की सूचीबद्धता तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी,ताकि भविष्य में ऐसी अनियमितताओ व मरीजों को गैर सुरक्षित उपचार तथा गलत भुगतान की संभावना से बचा जा सके। इस मामले में अंतिम निर्णय होने तक कालिंदी हॉस्पिटल विकासनगर को लाॅगिन को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सिस्टम पर तत्काल ब्लॉक करने की कार्यवाही भी की गई , जो मरीज वर्तमान में हॉस्पिटल में इलाज प्राप्त कर रहे हैं उनके लिए लॉगिन खुला रहेगा, ताकि समुचित इलाज प्राप्त कर मरीज डिस्चार्ज हो सके। हालांकि राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने इस मामले में कालिंदी हॉस्पिटल को निलंबन एवं कारण बताओ नोटिस भी दिया , जिसका जवाब हॉस्पिटल की ओर से दिया गया ,मगर उसका जवाब और स्पष्टीकरण पूर्णतया असंतोषजनक पाया गया। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण का कहना है कि हॉस्पिटल पर लगाया गया आरोप सिद्ध होता है, इसलिए ऐसे हॉस्पिटल को सूचीबद्ध रखा जाना जनहित में ठीक नहीं है । राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण का कहना है कि कालिंदी हॉस्पिटल के बारे में अन्य कार्यवाही विधि अनुसार अलग से की जाएगी । इस आदेश को कालिंदी हॉस्पिटल के चेयरमैन/सीईओ सतीश कुमार जैन को भेजने का फैसला भी लिया गया।