देहरादून। नाबार्ड की और से ‘श्री अन्न आधारित मूल्य श्रृंखला का विकास’ विषय पर क्षेत्रीय सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक मुख्य महाप्रबंधक विनोद कुमार बिष्ट की अध्यक्षता में आयोजित की गई तथा मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. वीवीआरसी पुरूषोत्तम, सचिव, कृषि, सहकारिता व पशुलपालन, उत्तराखण्ड सरकार उपस्थित रहे। बैठक में विभिन्न हितधारकों द्वारा प्रतिभाग किया गया जिसमें अर्पण कुमार, उप सचिव, फूड सप्लाई, डॉ. बी. पी नौटियाल, महाप्रबंधक (सेवानिवृत), डॉ. लक्षमी कांत, निदेशक, विवेकानंद कृषि अनुसंधान, अल्मोडा, डॉ. ए. के. शर्मा, पंत नगर विश्वविद्यालय, सहायक निदेशक, बीरचंद्र गढ़वाली विश्वविद्यालय, विनय कुमार, एमडी, उत्तराखण्ड ऑर्गेनिक कमोडिटी बोर्ड, आईआईएम काशीपुर एसएलबीसी के प्रतिनिधि, उत्तराखण्ड ग्रामीण बैंक के चेयरमैन, एलएसबीसी के समन्वयक व कृषि, उद्यानिकी, उद्योग, मंडी बोर्ड, शिक्षा विभाग, पीएचडी चैम्बर,एनएलआरएम व विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधि, कृषक उत्पादक संगठन के प्रतिनिधि, प्रगतिशील किसान व नाबार्ड के अधिकारीगण शामिल हुए.
बैठक में सभी का स्वागत करते हुए उप महाप्रबंधक भूपेंद्र कुमावत ने क्षेत्रीय सलाहकार समिति के गठन के उद्देश्यों पर प्रकाश ड़ालते हुए कहा कि राज्य में उपलब्ध कृषीतर गतिविधियों की मैपिंग करनी होगी, उनकी संभाव्यता के अनुसार उसमें आने वाली बाधाओं जैसे आधारभूत संरचना, स्किल, वित्त, विपणन आदि को मिलकर दूर करने के लिए सहभागिता आधारित कार्ययोजना तैयार करनी होगी तभी हम राज्य में ग्रामीण समृद्धि का सपना पूरा कर पाएंगे।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य महाप्रबंधक विनोद कुमार बिष्ट ने मिलेट की विशेषताओं तथा उनके उत्पादन संबधी समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक समय गरीबों का भोजन कहे जाने वाले इस मोटे अनाज में इतने पौष्टिक गुण हैं जो अन्य अनाज की अपेक्षा कहीं अधिक हैं। यह जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन तथा कम इनपुट लागत व वर्षा आधारित क्षेत्रों में आसानी से पैदा हो जाता है। इस अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त किया जिनके प्रयासों के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 को इंटरनेशनल मिलेट ईयर घोषित किया। इसके चलते लोगों मे जागरूकता आई है और लोग पहले की अपेक्षा मोटे अनाज अधिक खाने लगे हैं। साथ ही उन्होंने मिलेट की बुआई के घटते क्षेत्र, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की कम उपलब्धता, कम एफपीओ का मिलेट आधारित होना, प्रोससिंग, तकनीकी, मार्केटिंग का अभाव, जंगली जानवरों का फसल को नुकसान पहुँचाना आदि समस्याओं को प्रकाश डालते हुए कहा मिलेट को बढ़ावा देने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर एक साथ मिलकर कार्य करना होगा तथा नाबार्ड की यह बैठक हितधारकों को वो मंच प्रदान करती है जिस पर सभी अपनी बात रख सकते हैं तथा मिलकर समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
साथ ही उन्होंने मिलेट के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गई अलग एमएसपी की सराहना की और कहा राज्य सरकार के मिलेट को बढ़ावा देने के मिशन में कृषि विश्वविद्यालयों, केवीके, अनुसंधान संस्थान और बैंकों को एक साथ मिलकर एक योजना बनाना होगी जो लघु व लम्बी अवधि के लिए हो। साथ ही उन्होंने नाबार्ड की योजनाओं के बारे प्रकाश डालते हुए कहा कि राज्य सरकार व केंद्र सरकार की सभी योजनाओं को एक साथ लाकर सहभागिता से कार्य किया जाए तो वह मील का पत्थर साबित होगा।
कृषि क्षेत्र विकास विभाग, नाबार्ड, प्रधान कार्यालय से मुख्य महाप्रबंधक सी.एस. आर.मूर्ति ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में सब कुछ उपलब्ध है जहाँ दो कृषि विश्वविद्यालय है, अनुसंधान केंद्र हैं, बारह अनाजा जैसी कृषि पद्धतियाँ हैं उस राज्य को मिलेट के क्षेत्र में आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। बस जरूरत है तो इसे वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ाने की।
मुख्य अतिथि डॉ. वीवीआरसी पुरूषोत्तम, सचिव, कृषि, सहकारिता व पशुलपालन, उत्तराखण्ड सरकार ने अवसर पर राज्य सरकार का पहल के बारे में बताया कि उत्तराखण्ड देश में गुजरात व उडीसा के बाद तीसरा राज्य है जो मिलेट मिशन लेकर आया है। उन्होंने बताया कि मिलेट मिशन का उद्देश्य मिलेट की मार्केटिंग, प्रोससिंग, आधारभूत सुविधाओं के सृजन, एफपीओं को मिलेट बेस्ड बनाने तथा मिलेट के प्रति किसानों में जागरूकता करना है। उत्तराखण्ड सावर्जनिक वितरण प्रणाली में मिलेट को शामिल करने वाले देश का प्रथम राज्य है। इसके चलते मंडुवा की मांग बहुत बढ़ने वाली है जिसका फायदा किसानों को होगा। उनका मानना है कि राज्य सरकार बहुत तेजी से मिलेट मिशन पर कार्य कर रही है तथा आने वाले वर्षों में मिलेट के मामले में उत्तराखण्ड देश का अनुकरणीय राज्य होगा।
आईआईपीएम हैदराबाद से ऑनलाइन जुडे डॉ संगपा ने मिलेट में वेल्यू एडिशन की प्रक्रिया के बारे में बताया जिससे मिलेट का अधिक मूल्य किसानों को मिल सकेगा। इसमें उन्होंने पैफिंग, बेकिंग, इसंटेंट मिक्स, मिलिंग तथा फैलेक्सिंग व अन्य रैसिपी को शामिल किया।
साथ ही इस अवसर पर विवेकानंद कृषि अनुसंधान, अल्मोडा, पंतनगर विश्विद्यालय, मार्केट एग्रिवेटर, पीएचडी चैम्बर, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के प्रतिनिधि, उत्तराखण्ड ग्रामीण बैंक के चेयरमैन, कृषक उत्पादक संगठन, प्रगतिशील किसानों ने भी अपने विचार रखे और मिलेट के प्रोडक्शन, प्रमोशन, प्रोसेसिंग, सप्लाई चैन, लॉजिस्टिक्स, तकनीकी , स्केल ऑफ फाइनेंस आदि पर गहन चर्चा की। इस अवसर पर मिलेट के संबंध में एक पैम्फलेट का भी विमोचन किया गया। बैठक का समापन डॉ. सुमन कुमार, महाप्रबंधक नाबार्ड द्वारा प्रस्तुत धन्यावाद ज्ञापन से हुआ।
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