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भाजपा का हरीश रावत के बयान पर पलटवार चोरी डकैती तो जनता के विश्वास  पर हुई, अब  हो रही आरोपियों की जाँच, मुकदमा वापस लेने की बात करने वाले और आरोपी एक ही दल से सीट के दावेदार

कसा तंज,  बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय
कहा ,बयानबाजियों के बजाय  जांच एवं न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए 
देहरादून । भाजपा ने सीबीआई के नोटिस पर हरीश रावत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि चोरी, डकैती जनता के विश्वास पर की गई थी और अब  आरोपियों की जांच चल रही है।
प्रदेश अध्यक्ष  महेंद्र भट्ट  ने जारी बयान में स्पष्ट किया कि इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई पूरी निष्पक्षता से कर रही है और न्यायिक प्रक्रिया के तहत इस मामले का सच सामने आएगा । उन्होंने कहा कि अपनी सरकार बचाने के लिए कैमरे पर राज्य के संसाधनों और संपदा को लूटने का लाइसेंस देने वालों को सबने देखा है। जनता भी दोषियों को सामने लाने और सजा दिलाना चाहती है । उन्होंने हरक सिंह रावत द्वारा केस खारिज करने की मांग वाले बयान को सिरे से नकारते हुए कहा कि आज मुकद्दमा वापिस लेने की बातें तब हो रही है जब आरोप लगाने वाले और आरोपी दोनों एक ही पार्टी और एक ही सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं । शायद इन्हें देवभूमि की महान जनता की याददाश्त और दृढ़ इच्छाशक्ति का अंदाजा नही है । प्रदेश की सवा करोड़ राष्ट्रवादी जनता राज्य की संपदा व संसाधनों को लूटने का लाइसेंस देने वालों को कभी माफ नही करने वाली है । इसके लिए ही उन्होंने भाजपा को भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की सरकार चलाने का जनादेश दिया है । उन्होंने इन तमाम आरोपियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि  बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय”, लिहाज़ा जांच प्रक्रिया का सामना तो करना पड़ेगा और सच तो सामने आएगा ही ।
भट्ट ने हरदा द्वारा खुद को चोरी, डकैती से पीड़ित और मुलजिम ठहराने के बयान पर तंज कसते हुए कहा कि चोरी, डकैती का प्रयास तो राज्य की संपदा और संसाधनों के साथ किया जा जा रहा था, जिसे जनता ने स्टिंग ऑपरेशन में देखा है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि कभी कांग्रेस सीबीआई पर अविश्वास जताती है तो फिर कभी किसी अन्य प्रकरण में सीबीआई जांच की मांग करती है और अब फिर सीबीआई की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर रही है । फिलहाल सीबीआई जैसी संवैधानिक जांच एजेंसी पर कांग्रेस को भरोसा हो या नही लेकिन, जनता को कांग्रेस पर इंच मात्र भी भरोसा नही है । मीडिया में बयानबाजियों के बजाय उन्हें जांच एवं न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए ।

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