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उद्यान घोटालाः नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने मांगा मंत्री व विधायक का इस्तीफा, घोटालों के माहिर बवेजा को बनाया गया था निदेशक, कहा ,इस साल उच्च न्यायालय ने उद्यान घोटाले  सहित उत्तराखंड से संबंधित तीन घोटालों की जांच सीबीआई को सौंपी

देहरादून।  उद्यान विभाग के घोटाले को लेकर सीबीआई से जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार पर निशाना साधा है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा सालों से उत्तराखंड में चल रहे उद्यान घोटालों की जांच सीबीआई को देने से सिद्ध हो गया है कि उत्तराखंड में भ्रष्टाचार की गंगा में सभी डुबकी लगा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश में सरकार और शासन के सभी स्तरों की संदिग्ध भूमिका का उल्लेख किया है। उच्च न्यायालय के आदेश में सत्ता दल द्वारा रानीखेत विधायक अपने कथित बगीचे में फर्जी पेड़ लगाने का प्रमाण पत्र निर्गत करने से सिद्ध होता है कि, राज्य के उद्यान घोटालों में केवल निदेशक बवेजा ही लिप्त नहीं हैं बल्कि प्रदेश सरकार और भाजपा के विधायक व नेता भी शामिल  हैं। इस आदेश में दलनाम आने के बाद राज्य के उद्यान मंत्री और रानीखेत विधायक को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिये ।यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि, राज्य में हो रहे हर भ्रष्टाचार में राज्य सरकार भी हिस्सेदार है, इसलिए राज्य के अधिकारी व जांच एजेंसियां भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देते हुए उनके विरुद्ध सही जांच नहीं कर रही हैं। उन्होंने साफ कहा कि, राज्य के अधिकारी और एसआईटी जांच में नकारा सिद्ध हुए हैं इसलिए इस साल उच्च न्यायालय ने उद्यान घोटाले की जांच सहित उत्तराखंड से संबंधित तीन घोटालों की जांच सीबीआई को सौंपी हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, हिमाचल में विजिलेंस जांच में दोषी अधिकारी बवेजा को उत्तराखण्ड में उद्यान जैसे महत्वपूर्ण विभाग का निदेशक बना कर केवल इसलिए लाया गया कि उसे घोटालों को करने में महारत हासिल थी। उत्तराखंड उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में निदेशक डॉ. हरमिंदर बवेजा ने  उत्तराखंड फल पौधशाला (विनिमय) कानून – 2019 का उल्लंघन करते हुए पूरे प्रदेश के लिए शीतकालीन पौधों के आपूर्ति के लिए  उत्तरकाशी की एक ऐसी फर्जी नर्सरी- ‘‘अनिका ट्रेडर्स एवं पौधशाला’’ के नाम कर दिया जिसके पास राज्य में कहीं जमीन ही नहीं थी।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , इन सभी मामलों को विपक्ष ने सभी जगह उठाया लेकिन  सरकार ने ढिलाई दिखाते हुए कोई जांच नहीं की। मजबूरन कुछ समाजसेवी और बागवान उच्च न्यायालय की शरण में गए। यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पहले ही उद्यान से जुड़े सभी घपलों की जांच सीबीआई को देने का प्रस्ताव रखा था।

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