उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों के परिजनों को सरकारी नौकरियों में 10 फ़ीसदी क्षैतिज आरक्षण को लेकर हुई प्रवर समिति की अहम बैठक, समिति अध्यक्ष डॉ. अग्रवाल ने कहा ,अब हम लगभग अंतिम नतीजे पर पहुंच चुके

बैठक में समिति के सभी सदस्य रहे मौजूद
आगामी 3 नवंबर को होगी एडॉप्शन बैठक
देहरादून। उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों के परिजनों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण के मामले में बनाई गई विधानसभा की प्रवर समिति की मंगलवार को विधानसभा में तीसरी बैठक संपन्न हुई। जिसमें प्रवर समिति के अध्यक्ष डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल और तमाम सदस्य मौजूद रहे। इस दौरान प्रवर समिति के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री डॉ. अग्रवाल ने कहा कि हम अब लगभग अंतिम नतीजे पर पहुंच चुके हैं और वह इसके लिए सभी सदस्यों का धन्यवाद अदा करते हैं। उन्होंने बताया कि अब बहुत जल्द एक महत्वपूर्ण एडोप्शन बैठक 3 नवंबर को आहूत की जाएगी, जिसमें सभी सदस्य मौजूद रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि फाइनल ड्राफ्ट वो विधानसभा स्पीकर को सौंप देंगे इसके बाद समिति का कार्य पूर्ण हो जाएगा। बैठक में समिति के सदस्य विधायक मुन्ना सिंह चौहान, विनोद चमोली, उमेश शर्मा काऊ, मोहम्मद शहजाद, मनोज तिवारी और भुवन चंद कापड़ी भी शामिल रहे।
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए समिति में सदस्य और उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा कि सभी बिंदुओं पर चर्चा हुई है और अब सिर्फ एक एडॉप्शन बैठक बाकी रह गई है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि किसी का अहित न हो और जो 2004 से सीधी भर्ती या अन्य तरह से लगे हैं ,उन्हें भी इसका लाभ मिले। उन्होंने आगे कहा कि अब इसमें संशोधन करते हुए तलाकशुदा और परित्यक्ता पुत्री को भी लिया है।
धीरेंद्र प्रताप ने प्रवर समिति के फैसले पर संतोष जताया
देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने राज्य निर्माण आंदोलन कार्यों को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण को लेकर उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित समिति के आज लिए गए फैसले का स्वागत करते हुए विश्वास व्यक्त किया है कि 3 नवंबर को होने वाली बैठक आंदोलनकारी के पक्ष में उचित फैसला लेने में सफल होगी। उन्होंने कहा कि देर आयद दुरुस्त आयद। उन्होंने कहा कि 3 नवंबर के बाद उनके मुख्यमंत्री से मांग रहेगी कि वह विधानसभा का जल्द से एक दिवसीय आपातकालीन सत्र बुलाएं और इस सत्र में इस समिति की जो सलाह है उसको लागू करके तत्काल राज्यपाल को इसको कानून बनाने के लिए भेजें।