धामी मंत्रिमंडल की बैठक में अहम प्रस्ताव हुआ पास, अब उत्तराखंड में वर्चुअल भी कर सकेंगे जमीनों की रजिस्ट्री, प्रदेश से बाहर रहने वाले लोगों को भी होगा फायदा
रजिस्ट्री कार्यालय में आने में असमर्थ लोग वर्चुअल जुड़कर रजिस्ट्री प्रक्रिया में ले सकेंगे भाग
एस.आलम अंसारी
देहरादून: उत्तराखंड में वर्चुअल जमीनों की रजिस्ट्री कराने के लिए मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में मंजूरी दे दी है।
इसके तहत अब जमीन की रजिस्ट्री के दौरान कोई व्यक्ति अगर व्यक्तिगत रूप से रजिस्ट्री कार्यालय में आने में असमर्थ है तो वह वर्चुअल जुड़कर भी जमीन खरीद और बेच सकेंगे । इस फैसले की मंजूरी से उत्तराखंड से बाहर रहने वाले लोगों को भी रजिस्ट्री कराने में फायदा होगा। उत्तराखंड के बहुत से लोग अन्य राज्यों में रहते हैं ,जिस कारण कई बार जमीनों की खरीद और बिक्री के लिए उन्हें उत्तराखंड आना पड़ता है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया है ।अब उत्तराखंड के तमाम स्थानों पर अगर कोई जमीन खरीदना या बेचना चाहता है, तो जरूरी नहीं होगा कि उस व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से रजिस्ट्री कार्यालय में मौजूद रहना पड़ेगा।
उत्तराखण्ड राज्य में लेखपत्रों के निबंधन की प्रक्रिया में Virtual Registration की प्रक्रिया को पंजीकरण की कार्यवाही में कार्यान्वयन किये जाने के सम्बन्ध में बड़ा फैसला लिया गया है।
वर्तमान में राज्य में लेखपत्रों के निबंधन में पक्षकारों को अभी कार्यालय में उपस्थित हो कर बयान दर्ज कराने के पश्चात निबंधन कराना पड़ता है। Virtual Registration की प्रक्रिया के अस्तित्व में आने के बाद पक्षकार अपने ही स्थान से लेखपत्र को तैयार कर आनलाइन लिंक के माध्यम से प्रस्तुत कर सकेंगें। साथ ही उम्रदराज, बीमार एवं असहाय लोगों को कार्यालय में उपस्थित होकर लेखपत्रों का निबंधन कराने से मुक्ति प्राप्त होगी। पक्षकारों के दूरस्थ स्थानों पर होने के फलस्वरूप विलेखों का पंजीकरण सम्भव नही हो पाता है,इसलिए ऐसे विलेखों का पंजीकरण आसान होगा। इसके अलावा Virtual Registration की प्रक्रिया को लागू होने से औद्योगिक निवेश को बल मिलेगा।
उप निबंधक कार्यालय Video KYC के माध्यम से पक्षकारों का सत्यापन एवं विलेख में वर्णित तथ्यों का परीक्षण कर विलेखों के पंजीकरण की कार्यवाही को E-Sign के माध्यम से पूर्ण करेंगें। पक्षकार विलेख की Digitally Singed Copy को आनलाइन अपलोड करना भी सम्भव होगा। Virtual Registration की प्रक्रिया को आधार प्रमाणीकरण से भी अंर्तसम्बन्धित (लिंक) किया जायेगा जिससे कि जनसुविधा के साथ साथ फर्जीवाड़े पर भी रोक लग सके।
भारत सरकार की और से इन कार्यों के लिए आधार प्रमाणिकरण का ऐच्छिक रूप से प्रयोग किये जाने को अनुमति प्रदान की गयी है।
1. विलेखों का पंजीकरण ।
2. विवाह पंजीकरण।
3. विवाह प्रमाण एवं लेखपत्रों की प्रमाणित प्रति निर्गत करना।
4. भार मुक्त प्रमाण (Non Encumbrance Certificate)
5. पंजीकृत लेखपत्रों के ई-सर्च।
इन कार्यों के सफल कियान्वयन के लिए स्टाम्प एवं निबन्धन विभाग को Sub-KUA (e-KYC User Agency) के रूप में अधिकृत किये जाने को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण एवं NIC/C-DAC के साथ एम.ओ.यू. की प्रक्रिया जल्द सम्पन्न की जायेगी। आधार प्रमाणीकरण के लिए शासन से अनुमति के बाद अधिसूचना निर्गत की जा चुकी है।