उत्तराखण्डदेहरादून

समान नागरिक संहिता विधेयक-2024 : मैरिज को लेकर क्या रखा गया है प्रावधान, अपने धर्म अनुसार करें शादी, पंजीकरण कराना होगा  अनिवार्य, विवाह के समय पुरुष  21 व स्त्री ने 18 वर्ष की आयु  कर ली हो पूरी

विवाह के समय न तो वर की जीवित पत्नी और न वधू का जीवित पति हो
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन में समान नागरिक संहिता विधेयक-2024 पेश कर दिया गया । इस विधेयक में सभी को अपने धर्म अनुसार शादी करने की अनुमति दी गई है, मगर साथ ही कहा गया है कि सभी को पंजीकरण कराना भी अनिर्वाय होगा, शादी ही नहीं तलाक का भी पंजीकरण कराना होगा।
समान नागरिक संहिता विधेयक 2024 के अध्याय-1 में विवाह अनुष्ठान व अनुबंध के लिये अपेक्षित आवश्यकताएं बताई गई है, कहा गया है कि एक पुरुष और एक महिला के बीच विवाह अनुष्ठापित व अनुबंधित किया जा सकता है, यदि उन दोनों में निम्नलिखित अपेक्षित आवश्यकताएं पूर्ण होती हों, विवाह के समय दोनों पक्षकारों में से, न तो वर की कोई जीवित पत्नी हो और न वधू का कोई जीवित पति हो। विवाह के समय दोनों पक्षकारों में से कोई पक्षकार-चित्त विकृति के परिणाम स्वरूप विधिमान्य सम्मति देने में असमर्थ न हो, या विधिमान्य सम्मत्ति देने में समर्थ होने पर भी इस प्रकार के या इस सीमा तक मानसिक विकार से पीड़ित न रहा हो कि वह विवाह के लिए अयोग्य हो, या उनमत्तता का बार-बार दौरा पड़ने से पीड़ित न हो, विवाह के समय पुरुष ने इयकीस वर्ष की आयु और स्त्री ने अठारह वर्ष की आयु पूर्ण कर ली हो। विवाह के पक्षकार प्रतिषिद्ध नातेदारी की डिग्रियों के भीतर न हो, या भीतर हों तो भी दोनों पक्षकारों में से किसी भी एक को शासित करने वाली रूढ़ि या प्रथा उन दोनों के मध्य विवाह अनुमन्य करती हो, मगर यह कि ऐसी रूढ़ि और प्रथा लोकनीति और नैतिकता के विपरीत न हो। किसी भी विधि के अन्तर्गत विवाह प्रतिषिद्ध न हो।
यूसीसी में कहा गया है कि पुरूष व महिला के मध्य विवाह का अनुष्ठान व अनुबंधन धार्मिक मान्यताओं, प्रथाओं, रूढ़िगत संस्कारों और अनुष्ठानों, जैसे ‘सप्तपदी’, ‘आशीर्वाद’, ‘निकाह’, ‘पवित्र बंधन’, आनंद विवाह अधिनियम, 1909 के तहत ‘आनंद कारज’, तथा विशेष विवाह अधिनियम, 1954 व आर्य विवाह मान्यकरण अधिनियम, 1937 के अनुरूप किन्तु इनसे सीमित हुए बिना हो सकता है।

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