उत्तराखण्डदेहरादून

धामी सरकार ने रचा इतिहास: उत्तराखंड विधानसभा में पास हुआ समान नागरिक संहिता बिल, यूसीसी बिल पास करने वाली देश की पहली विधानसभा बनी उत्तराखंड की विधानसभा

आंदोलनकारियों के आरक्षण का बिल भी सर्वसम्मति से हुआ पास ,अब बिल मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा
विधानसभा सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित                                                  एस.आलमअंसारी 
देहरादून।  उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता 2024 विधेयक ध्वनिमत से पास हो गया । इसके साथ ही यूसीसी बिल पास करने वाली उत्तराखंड विधानसभा देश की पहली विधानसभा बन गई है। अब बिल को मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उसके बाद बिल राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। विधानसभा सत्र के तीसरे दिन उच्च बिल को लेकर चर्चा हुई। वहीं इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संबोधन हुआ। शाम को उच्च बिल ध्वनि मत से पास कर दिया गया। इसके साथ ही उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इसके साथ ही आंदोलनकारी के आरक्षण का बिल भी सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। इसके बाद विधानसभा सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
विधानसभा सत्र के तीसरे दिन  विधेयक पर चर्चा की गई। इस दौरान विपक्ष ने हंगामा करते हुए विधेयक के दोषों पर चर्चा की।सदन में हंगामा करते हुए विपक्ष ने विधेयक को प्रदेश के हितों से बाहर बताया। हालांकि, संसदीय कार्यमंत्री डा प्रेमचंद अग्रवाल, विधायक मुन्ना सिंह चौहान समेत कई विधायकों ने विधेयक के पक्ष में विस्तार से उल्लेख किया।
विधेयक पर दो दिन तक हुई लंबी चर्चा
उत्तराखंड विधानसभा के लिए 7 फरवरी 2024 का दिन ऐतिहासिक रहा। समान नागरिक संहिता विधेयक पास करने के साथ ही उत्तराखंड विधानसभा ने यूसीसी बिल पास करने वाली देश की पहली विधानसभा का गौरव भी हासिल कर लिया है। 5 फरवरी से शुरू हुए उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में समान नागरिक संहिता विधेयक पर 6 और 7 फरवरी को सदन में दो दिनों तक लंबी चर्चा हुई। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों को लेकर अपने-अपने सुझाव दिए। कुछ सुझावों पर चर्चा भी की गई। 6 फरवरी  को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 को पेश किया था। इसके बाद चर्चा के लिए समय तय किया गया, लेकिन विपक्ष ने चर्चा से पहले विधानसभा अध्यक्ष से विधेयक का अध्ययन करने के लिए समय मांगा।
सीएम  धामी ने कहा,महिला सुरक्षा तथा  सशक्तिकरण की दिशा में यूसीसी बिल एक महत्वपूर्ण अध्याय
देहरादून।  दिनभर की चर्चा के बाद आखिरी में सीएम पुष्कर धामी  ने विधेयक को लेकर सदन में अपनी बात रखी।
सीएम धामी ने कहा कि आज इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनते हुए, न केवल इस सदन को बल्कि उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक को गर्व की अनुभूति हो रही है।हमारी सरकार ने पीएम मोदी के ‘एक भारत और श्रेष्ठ भारत’ मंत्र को साकार करने के लिए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। प्रदेश की देवतुल्य जनता ने हमें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना आशीर्वाद देकर पुनः सरकार बनाने का मौका दिया। सरकार गठन के फौरन  बाद, पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया।
सीएम धामी ने कहा कि हमने संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है। जिससे उन जनजातियों और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके। हमारी सरकार का यह कदम संविधान में लिखित नीति और सिद्धांत के अनुरूप है।यह महिला सुरक्षा तथा  सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है।मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पारित बिल में सभी धर्म समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक कानून का प्रावधान है। महिलाओं और पुरुषों को एक समान अधिकारों की सिफारिश की गई है. हालांकि, फिलहाल अनुसूचित जनजातियों को इस कानून की सीमा से बाहर रखा गया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड की इतिहास में शायद ही इतनी लंबी चर्चा किसी विधायक पर हुई हो उन्होंने कहा कि यह कोई सामान्य विधायक नहीं है मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड को गोर वनीत करने वाला मौका मिला है देश को दिशा दिखाने का काम देवभूमि उत्तराखंड से हुआ है। उन्होंने कहा कि जिस अवधारणा के साथ संविधान बनाया था। इस अवधारणा के साथ उत्तराखंड से यह विधेयक लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक क्षण के हम सब साक्षी बन रहे हैं ।एक भारत श्रेष्ठ भारत के संकल्प को साकार करने का काम किया गया है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी  ने कहा कि 27 मई 2022  को राज्य में सरकार बनने के बाद पहली ही कैबिनेट बैठक में यूसीसी का ड्रॉफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला किया गया । सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई। उन्होंने कहा कि समिति ने व्यापक जन संवाद और हर पहलू का गहन अध्ययन करने के बाद यूसीसी के ड्रॉफ्ट को अंतिम रूप दिया है। इसके लिए प्रदेश भर में 43 जनसंवाद कार्यक्रम और 72 बैठकों के साथ ही प्रवासी उत्तराखंडियों से भी समिति ने संवाद किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2.32  लाख सुझाव आए और पहली बार किसी राज्य के 10 फीसदी  लोगों ने संवाद में  भाग लिया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि 2 फरवरी को समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी और हमने भी इसे लेकर देर नहीं की और रिपोर्ट मिलते ही 5 फरवरी से विधानसभा का सत्र बुलाया।
कहा ,माताओं और बहनों का आत्मबल बढ़ाएगा यूसीसी
देहरादून। विधानसभा में समान  नागरिक संहिता बिल पास होने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आज उत्तराखंड के लिए खास दिन है। में विधानसभा के सभी सदस्यों और जनता का आभार व्यक्त करता हूं ।उनके समर्थन से ही आज हम यह कानून बना पाए हैं। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी धन्यवाद करना चाहता हूं ।यह कानून समानता का है यह कानून हम किसी के खिलाफ नहीं लाए हैं, बल्कि उन माताओं और बहनों का आत्म बल बढ़ाएगा जो किसी प्रथा और कुरीति  की वजह से प्रताड़ित होती थी। उन्होंने कहा कि हमने 12 फरवरी 2022 को इसका संकल्प लिया था और इसे जनता के सामने रखा था। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि करीब 2 साल में आज 7 फरवरी को हमने इसे सदन में पास करवाया। देश के अन्य राज्यों से भी हमारी अपेक्षा रहेगी कि वह इस दिशा में आगे बढ़े। उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव के समय हमारी पार्टी ने संकल्प लिया था ।इसे आगामी चुनाव के नजरिए से न देखा जाए ।मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड के लिए  राज्य आंदोलनकारियों का बड़ा योगदान है। आंदोलनकारियों की सुविधा और पेंशन बढ़ाने से लेकर हमने आरक्षण देने का काम किया है।

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