हरिद्वार रिश्वत प्रकरण पर शिक्षा मंत्री डा. रावत ने लिया एक्शन, आरोपी बीईओ को निलम्बित कर सीईओ कार्यालय किया अटैच, पौड़ी में शराबी शिक्षक के खिलाफ की निलम्बन की कार्रवाई
विभागीय अधिकारियों को जांच के भी निर्देश
आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लायी जायेगी
देहरादून। हरिद्वार के खानपुर ब्लॉक में विजीलेंस द्वारा रिश्वत प्रकरण में खंड शिक्षा अधिकारी की गिरफ्तारी का संज्ञान लेते हुए सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बड़ा एक्शन लिया है। आरोपी खंड शिक्षा अधिकारी अयाजुद्दीन को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर सीईओ कार्यालय हरिद्वार में सम्बद्ध कर दिया गया है। साथ ही विभागीय अधिकारियों को जांच के भी निर्देश दे दिये गये हैं। इसके अलावा उन्होंने पौड़ी जनपद के कोट ब्लॉक के पूर्वमाध्यमिक विद्यालय राणाकोट में तैनात शिक्षक के वायरल वीडियो का भी संज्ञान लेकर शराबी शिक्षक के निलम्बित के निर्देश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी पौड़ी को दे दिये हैं।
सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि एक ओर सरकार प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था के सुदृढ़करण में जुटी है वहीं दूसरी ओर कतिपय कर्मचारी विभाग की छवि धूमिल करने से बाज नहीं आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि विभाग के अंतर्गत किसी भी प्रकार की अनैतिक गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जायेगी। डा. रावत ने बताया कि हरिद्वार के खानपुर ब्लॉक में विगत शुक्रवार को विजीलेंस द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी अयाजुद्दीन को 10 हजार की रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ लिया था। जिसको तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया है। इसके साथ ही आरोपी बीईओ को सीईओ कार्यालय हरिद्वार से सम्बद्ध कर विभागीय जांच के निर्देश भी दे दिये गये हैं।
विभागीय मंत्री डा. रावत ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे शराबी शिक्षक सुरेश कुमार नौटियाल के वीडियो का भी संज्ञान लिया है। वायरल वीडियो पौड़ी जनपद का है, जो कोट ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय राणाकोट में सहायक अध्यापक बताया जा रहा है। डा. रावत ने बताया कि शराबी शिक्षक को तत्काल निलम्बित करने के निर्देश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी पौड़ी को दे दिये गये हैं। साथ ही आरोपी शिक्षक को उप खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय कोट से सम्बद्ध कर विभागीय जांच करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि दोनों प्रकरणों की जांच गम्भीरता से की जायेगी और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लायी जायेगी ताकि शिक्षा विभाग के अंतर्गत भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।