उत्तराखण्ड

पूर्व पार्षद सुमित्रा ध्यानी बोलीं, जनता होती है जनार्दन

चुनाव में मिली हार को स्वीकारा, मतदाताओं और कार्यकर्ताओं का जताया आभार

जनता से किया वादा, समस्याओं के निदान के लिए हरसमय रहेंगी तत्पर

देहरादून। नगर निगम के वार्ड 33 से कांग्रेस प्रत्याशी सुमित्रा ध्यानी पार्षद पद पर चंद वोटों से पराजित हो गयी। चुनाव में मिली इस अप्रत्याशित हार के बाद उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्त्ता निराश हैं। इस बीच पूर्व पार्षद सुमित्रा ध्यानी ने कहा है कि लोकतंत्र में जनता जनार्दन होती है। उसका फैसला सर्वोपरि होता है। वह जनता के इस फैसले को स्वीकार करती हैं। उन्होंने जनता से मिले सहयोग और मतों के लिए आभार व्यक्त किया है। उनके अनुसार वह निराश नहीं हैं। जनता के लिए और क्षेत्र के विकास के लिए हर समय तत्पर रहेंगी।

सुमित्रा ध्यानी मतगणना के आखिरी दौर तक बढ़त बनाए हुए थी। लेकिन आखिरी दौर में वह महज कुछ मतों से पराजित हो गयी। इससे उनके समर्थक, शुभचिंतकों और कार्यकर्ताओं में भारी निराशा है। उनके निवास पर समर्थकों और कार्यकर्ताओं का आना लगातार जारी है। सुमित्रा ध्यानी ने सभी कार्यकर्ताओं, समर्थकों और मतदाताओं का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि वह जनसेवा का व्रत ले चुकी हैं। चुनाव में हार जीत होती है। हार स्वीकार करती हूं लेकिन जनता के हितों के लिए हरसमय उपलब्ध रहूंगी। जनहित के कार्य करती रहेंगी।

गौरतलब है कि सुमित्रा ध्यानी ने पार्षद के तौर पर वार्ड में विकास के कई नये आयाम स्थापित किये थे। वार्ड को गड्ढामुक्त करना, नालियों की सफाई करवाना, जलभराव से निजात दिलाना, स्ट्रीट लाइट और सोलर लाइट की व्यवस्था करने के अलावा उन्होंने क्षेत्र में असामाजिक तत्वों को रोकने के लिए भी अहम कदम उठाए थे। वार्डवासियों के हितों के लिए उन्होंने अपने क्षेत्र में विधवा और बुजुर्ग पेंशन शिविर, आयुष्मान शिविर का आयोजन किया। शहर को स्वच्छ बनाने के लिए पालीथीन मुक्त अभियान भी चलाया। कोरोना काल में उनका अहम योगदान रहा। उन्होंने कोरोना से बचाव के लिए समुचित प्रबंध किये। कोरोना प्रभावितों की हरसंभव मदद की। जरूरतमंदों को राशन और खाने के पैकेट दिये।

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