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गर्मी में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर की गुणवत्ता पर सतर्क हुआ एफडीए , , जारी किए सख्त निगरानी के आदेश, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश की चेतावनी – खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता से नहीं किया जाएगा कोई समझौता 

पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर और ठंडे पेय पदार्थों की गुणवत्ता व भंडारण में लापरवाही पर होगी कड़ी कार्रवाई
देहरादून।गर्मियों में तापमान में तेज़ी से वृद्धि और पर्यटन सीजन की शुरुआत को देखते हुए उत्तराखंड खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग पूरी तरह सतर्क हो गया है। राज्य भर में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर और ठंडे पेय पदार्थों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने और उनके उचित भंडारण के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य एवं आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने कहा, “राज्य सरकार नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। गर्मियों के इस संवेदनशील मौसम में खाद्य एवं पेय पदार्थों की गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी  संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे नियमित रूप से निरीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि बाजार में बिकने वाला पैकेज्ड पानी व शीतल पेय मानकों के अनुरूप हों। यदि कोई भी विक्रेता या आपूर्तिकर्ता नियमों की अवहेलना करता पाया गया तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि उपभोक्ताओं से अपेक्षा है कि वे केवल प्रमाणित और लाइसेंसी उत्पादों का ही उपयोग करें और किसी भी प्रकार की अनियमितता की सूचना विभाग को दें।
विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि उपभोक्ताओं की सेहत सर्वोपरि है और गर्मियों के इस संवेदनशील मौसम में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
बिना अनुमति खुले में बिक रहा ठंडा पानी हो सकता है खतरनाक : जग्गी
अपर आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि स्वास्थ्य सचिव व आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार के निर्देश पर यह आदेश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा, “गर्मी के मौसम में बाजार में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर और अन्य ठंडे पेय पदार्थों की मांग में भारी वृद्धि होती है। लेकिन देखा गया है कि कई स्थानों पर इनका भंडारण खुले में और अनियमित तरीकों से किया जा रहा है, जिससे इनकी गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इससे न केवल उत्पाद की शुद्धता प्रभावित होती है, बल्कि जनस्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न होता है। विभाग को इस संबंध में लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थीं।”

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