उत्तराखण्ड
सत्ता का घमंडः इधर आचार संहिता, उधर हुई नियुक्तियांः हरीश
- को-ऑपरेटिव बैंकों में नियुक्तियों को लेकर पूर्व सीएम हरीश खड़े किए सवाल
- कहा, आबकारी कमिश्नर को हटाने का रहस्य अब समझ में आया
देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जोर पकड़ने लगा है। कांग्रेस ने रविवार को भाजपा पर कई गंभीर आरोप लगाए। आचार संहिता लगने का ऐलान होने के बाद किसान आयोग, बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग, राज्य हज कमेटी व को-ऑपरेटिव बैंकों में की गई नियुक्तियों पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किये है।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिए आचार संहिता लागू होने के बावजूद सरकार की ओर से नियुक्ति किए जाने पर सवाल उठाए हैं। हरीश रावत ने ट्वीट कर पूछा है कि को-ऑपरेटिव बैंकों में अब भी नियुक्तियां जारी हैं, हरिद्वार से विरोध आया तो नियुक्तियां रुकी और अब पिछले दरवाजे से नियुक्तियां करने की कोशिश हो रही हैं। मुझे भरोसा है कि चुनाव आयोग इसका संज्ञान लेगा। सरकार ने किसान आयोग, बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग व हज कमेटी आदि में कई नियुक्तियां की हैं। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आदि की ओर ये सारी नियुक्तियां आचार संहिता लागू होने के बाद की गई हैं, क्या ऐसा किया जा सकता है? क्या यह नैतिक आधार तो उचित है? क्या ये आचार संहिता का खुला उल्लंघन नहीं है? धज्जियां उड़ रही हैं, 57 हैं सब कर सकते हैं, वाह रे सत्ता के घमंड।
हरीश रावत ने आबकारी कमिश्नर हटाए जाने को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा अब रहस्य समझ में आया कि क्यों आबकारी कमिश्नर को हटाया गया? आबकारी कमिश्नर यदि रहते तो सरकार एक ऐसा शासनादेश जिसमें करोड़ों रुपए का खेल हुआ है, नहीं कर पाती। वह शासनादेश आचार संहिता लागू होने के बाद किया गया है।आबकारी विभाग में किया गया है, जिसके जरिए जो उच्च स्पेसिफाइड मदिरा है, उसके विक्रय के लिए कई नियमों को शिथिल करते हुए लोगों को उपकृत किया गया है और सरकार भी उपकृत हुई है।