भारत के साथ सैन्य सहयोग पर एस-400 की आपूर्ति नहीं होगी प्रभावितः रूस
नई दिल्ली। अमेरिका और उसके सैन्य सहयोगी देशों की तरफ से रूस पर लगाये गये प्रतिबंध का भारत और रूस के बीच स्थापित सैन्य सहयोग पर कोई असर नहीं होगा। दोनो देशों के बीच दिसंबर, 2021 में ही अगले दस वर्षों के सैन्य सहयोग के रोडमैप पर सहमति बनी है और अब दोनो देश गंभीरता से इसे आगे बढ़ाने में लगे हैं। अमेरिकी प्रतिबंध एंटी मिसाइल सिस्टम एस-400 की खरीद पर भी कोई असर नही होगा। भारत में रूस के प्रभारी राजदूत रोमन बाबुश्किन ने यह बात बुधवार को कही। रूस पर अमेरिका की तरफ से नये प्रतिबंधों की घोषणा के कुछ ही घंटे बाद बाबुश्किन ने संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। रूस के प्रभारी राजदूत के विश्वास भरे इस बयान के बावजूद भारतीय खेमे में चिंता साफ तौर पर देखी जा रही है। इस बार रूस पर सिर्फ अमेरिका ने प्रतिबंध नहीं लगाया है बल्कि ब्रिटेन, जापान, आस्ट्रेलिया, कनाडा समेत कई यूरोपीय देशों ने भी प्रतिबंध लगाया है। रूस के साथ कारोबार करने वाले देशों की कंपनियों के खिलाफ ये देश कई तरह के कदम उठा सकते हैं। ब्रिटेन और अमेरिका ने खास तौर पर रूस के वित्तीय संस्थानों पर प्रतिबंध लगाया है। इन प्रतिबंधित बैंकों के साथ कारोबार करने वाले भारतीय कंपनियों को भी इस प्रतिबंध की मार झेलनी पड़ सकती है। भारत की सबसे बड़ी चिंता अमेरिका में रूस के खिलाफ बढ़ रहे राजनीतिक विरोध को लेकर है। पूर्व में रूस पर अमेरिकी प्रतिबंध के बावजूद भारत ने एंटी मिसाइल सिस्टम एस-400 की खरीद की है। पांच अरब डालर के इस समझौते का व्यक्तिगत तौर पर कई बड़े अमेरिकी राजनेता लगातार विरोध करते रहे हैं। उनका यह विरोध और बढ़ सकता है। रूस के सहयोग से तैयार ब्रह्मोस मिसाइल को निर्यात करने की भारत की योजना पर भी इस प्रतिबंध का असर हो सकता है। दिसंबर, 2021 में राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे के दौरान दोनों देशों ने अगले दस वर्षों के लिए सैन्य सहयोग के समझौते को स्वीकार किया है। साथ ही एके-307 असाल्ट रायफल्स खरीदने के लिए 5100 करोड़ रुपये का समझौता किया है। भारत अपनी कुल रक्षा जरुरत के 60 फीसद हिस्से के लिए अभी भी रूस पर आश्रित है। एस-400 की नई खेप की आपूर्ति को लेकर भी दोनो देशों के बीच लगातार संपर्क बना हुआ है। रूस के प्रभारी राजदूत का कहना है कि सैन्य समझौतों पर कोई असर नहीं होगा। यूक्रेन को लेकर भारत के अभी तक के रुख को रूस परोक्ष तौर पर अपने समर्थन के तौर पर ले रहा है। यूएनएससी में भारत ने अभी तक रूस के कदम की आलोचना नहीं की है और दोनों पक्षों से पूरे विवाद को कूटनीतिक तरीके से सुलझाने की अपील की है।
बाबुश्किन का कहना है कि, हम भारत के स्वतंत्र व संतुलित प्रक्रिया का स्वागत करते हैं। यह बताता है कि भारत एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति है। हमारे बीच बहुत ही खास रणनीतिक साझेदारी है जो आपसी समझ व भरोसे पर आधारित है और हम एक दूसरे के हितों व चिंताओं का ध्यान रखते हैं।