राष्ट्रीय

भारत ने श्रीलंका को दी एक अरब डालर की सहायता

भारी वित्तीय संकट से जूझ रहे पड़ोसी देश को दी गई मदद
नई दिल्ली। भारी वित्तीय संकट से जूझते श्रीलंका की इकोनोमी को संभालने के लिए भारत ने एक अरब डालर की आसान शर्तों पर वित्तीय मदद दी है। नई दिल्ली की यात्रा पर आये श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हुई संयुक्त मुलाकात में इस वित्तीय मदद से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर किये गये।
भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आये राजपक्षे की एक दिन पहले पीएम नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात हुई थी जिसमें प्रधानमंत्री ने उन्हें हर तरह की मदद देने का पूरा आश्वासन दिया था। राजपक्षे की विदेश मंत्री जयशंकर के साथ भी द्विपक्षीय मुलाकात हुई है जिसमें भारत की मदद से वहां शुरू की जाने वाली नई परियोजनाओं पर विमर्श हुआ है। इसमें जाफना इलाके में स्थित पलाली एयरपोर्ट और कंकेसंथुरई हार्बर का मुद्दा भी शामिल है जिसमें भारत की रुचि है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि भारत पहले ही श्रीलंका को 141.52 करोड़ डालर की मदद दे चुका है। इसमें 50 करोड़ डालर की मदद भारत से पेट्रोलियम उत्पादों के आयात के लिए था जबकि 40 करोड़ डालर और 51.52 करोड़ डालर की मदद दो अन्य मदद दी गई है। एक करोड़ डालर की जो मदद अब दी जाएगी उसका इस्तेमाल श्रीलंका की सरकार अनाज, दवाइयों और दूसरे आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए करेगी। श्रीलंका के वित्त मंत्री ने बिजली मंत्री आर के सिंह से भी मुलाकात की है।
ध्यान रहे कि पूरी तरह से पर्यटन पर आश्रित श्रीलंका की वित्तीय स्थित अभी एकदम चरमराई हुई है। पहले कोविड की वजह से और अभी यूक्रेन-रूस विवाद की वजह से उस पर वित्तीय बोझ काफी बढ़ गया है। सरकार के पास जरूरी आवश्यक वस्तुओं के आयात लायक धन भी नहीं बचा है। ऐसे में वहां राजपक्षे सरकार के खिलाफ आम जन का गुस्सा भी बढ़ रहा है। रोजाना प्रदर्शन होने की सूचना आ रही है।
श्रीलंका सरकार भारत के साथ ही चीन से भी आर्थिक मदद लेने की कोशिश में है। 26 मार्च, 2022 को चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी कोलंबो की यात्रा पर जाने वाले हैं और माना जा रहा है कि वो बड़ी मदद का ऐलान करेंगे। हालांकि, हाल के महीनों में श्रीलंका को जितनी तेजी से मदद भारत ने दी है वैसी मदद चीन से नहीं मिली है। जबकि मौजूदा राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे को चीन समर्थक माना जाता रहा है इसके बावजूद चीन की तरफ से श्रीलंका को आर्थिक संकट से निकालने में खास मदद नहीं मिल पाई है।

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