भारतीय समाचार पत्रों पर भारी पड़ रहा रूस-यूक्रेन युद्ध
सरकार से न्यूजप्रिंट आयात पर पांच फीसद का सीमा शुल्क वापस लेने की मांग
नई दिल्ली। संकट की घड़ी में यूं तो समाचारपत्रों की भूमिका और ज्यादा बढ़ जाती है लेकिन पिछले दो साल मे कोविड और अब यूक्रेन व रूस के बीच युद्ध ने भारतीय समाचार पत्रों के समक्ष न्यूजप्रिंट का विकट संकट खड़ा कर दिया है। भारतीय अखबारों के लिए रूस से तकरीबन 45 फीसद न्यूजप्रिंट आयात होता है। युद्ध के बाद से बदली हुई परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादातर ग्लोबल शिपिंग कंपनियों ने रूसी बंदरगाहों से किसी भी तरह की बुकिंग बंद कर दी है। उन बंदरगाहों पर कंटेनरों की बाढ़ सी आ गई है। हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। युद्ध की वजह से लगाए गए प्रतिबंधों के चलते रूसी बैंकों के लिए कारोबार करना आसान नहीं रह गया है।
न्यूजप्रिंट उत्पादन लागत में 30 फीसद हिस्सेदारी रखने वाले प्राकृतिक गैस और कोयले की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं, जिससे यह उत्पादन के स्तर पर ही महंगा हो गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कनाडा और पोलैंड में भी कागज उत्पादन और सप्लाई बाधित हो रही है। पोलैंड में कागज मिलों में श्रमिक हड़ताल पर हैं। पोलैंड से भारत अपनी जरूरतों का 60 फीसद ग्लॉसी न्यूजप्रिंट आयात करता है। जबकि कनाडा से 40 फीसद न्यूजप्रिंट आयात होता है। दूसरी ओर घरेलू मिलें न्यूजप्रिंट की जगह पैकेजिंग मैटीरियल्स बनाने लगी हैं। ई-कामर्स में पैकेजिंग मैटीरियल्स की मांग तेजी से बढ़ी है। घरेलू स्तर पर कुछ मिलों में ही न्यूजप्रिंट तैयार हो रहा है, लेकिन कोविड संकट के चलते वे मिलें रिसाइकिल्ड फाइबर की कमी से जूझ रही हैं।
न्यूजप्रिंट सप्लाई की कमी से जूझ रहे समाचार पत्रों के सामने कई तरह के संकट हैं। आयातित न्यूजप्रिंट की कीमतें लगभग दोगुना हो गई हैं। वर्ष 2019 में जो न्यूजप्रिंट 450 डालर प्रति टन था, वही इस समय बढ़कर 800-900 डालर के बीच हो गया है। समाचार पत्रों के प्रकाशन की लागत का 40 से 50 फीसद हिस्सा न्यूजप्रिंट पर खर्च होता है। समाचार पत्रों की लागत में इसके अलावा इंक, प्रिंटिंग के लिए जरूरी एल्युमीनियम प्लेट्स समेत अन्य जरूरी इनपुट के साथ ट्रांसपोर्टेशन की लागत में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।
न्यूजपेपर इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने इन गंभीर चुनौतियों के मद्देनजर केंद्र सरकार से मिलकर न्यूजप्रिंट पर लगाए गए पांच फीसद के सीमा शुल्क को हटाने का आग्रह किया। उनका मानना है कि इससे भी न्यूज पेपर इंडस्ट्री को बड़ी राहत मिल सकती है। एक पक्ष का मानना है कि जिस तरह रूस से क्रूड खरीदने पर विचार हो रहा है उसी तरह न्यूजप्रिंट के लिए भी विशेष कोशिश होनी चाहिए और फिर उसे विशेष प्रबंध कर भारत लाया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार के समक्ष अपनी कठिनाइयों का जिक्र करते हुए कहा कि अगर जल्दी ही राहत का फैसला नहीं लिया गया तो हालात बद से बदतर हो सकते हैं।