आर्य समाज शादी में विशेष विवाह अधिनियम के प्रविधानों का पालन करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
नई दिल्ली। आर्य समाज शादी में विशेष विवाह अधिनियम 1954 की धारा पांच से आठ तक के प्राविधान (शादी से पहले नोटिस देकर आपत्ति मंगाना) लागू करने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली आर्य समाज संस्था की याचिका पर मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने 17 दिसंबर 2021 को एकल पीठ के 9 दिसंबर 2020 के उस आदेश को सही ठहराया था जिसमें शादी का प्रमाणपत्र सिर्फ कानून में अधिकृत सक्षम अथारिटी ही जारी कर सकती है। आर्य समाज संस्था सेक्रेटरी मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सोमवार को न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और ऋषिकेश राय की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील श्याम दीवान और वंशजा शुक्ला को सुनने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए याचिका पर नोटिस जारी किया। इससे पहले श्याम दीवान ने कहा कि हाईकोर्ट ने यह आदेश देकर अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है।
वह ऐसा आदेश नहीं दे सकता क्योंकि कानून के मुताबिक आर्य समाज शादी में आर्य मैरिज वैलिडेशन एक्ट 1937 और हिन्दू विवाह अधिनियम के प्राविधान लागू होते हैं उसमें विशेष विवाह अधिनियम के प्राविधान लागू नहीं होंगे। याचिकाकर्ता की दलील थी कि आर्य समाज मंदिर हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा पांच और सात के मुताबिक दो हिन्दुओं की शादी कराता है।
आर्य मैरिज एक्ट और हिन्दू मैरिज एक्ट में विशेष विवाह अधिनियम की धारा पांच से लेकर आठ तक के प्रविधानों के पालन की बात नहीं कही गई है। इसलिए हाईकोर्ट का इसके पालन का आदेश देना गलत है। हाईकोर्ट ने अतिरिक्त शर्तें लगाने से उसे संविधान के अनुच्छेद 26 और 25 और 14 में मिले अधिकारों का उल्लंघन होता है। मालूम हो कि ये अधिकार धार्मिक स्वतंत्रता और समानता की बात करते हैं।