राष्ट्रीय

निखरेंगे नैक रैंकिंग में पिछड़े उच्च शिक्षण संस्थान

शिक्षा मंत्रालय ने ‘बी’ और ‘सी’ कैटेगरी के सभी संस्थानों की मांगी रिपोर्ट
नई दिल्ली। उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) बढ़ाने की कोशिशों के बीच शिक्षा मंत्रालय उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को भी दुरुस्त करने की तैयारी में है। इस लिहाज से देश के ऐसे सभी उच्च शिक्षण संस्थानों की जानकारी जुटाई जा रही है, जो गुणवत्ता से जुड़ी नैक (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल) रैंकिंग में निचले पायदान पर हैं। मंत्रालय की योजना ऐसे सभी संस्थानों को चिह्नित कर उन्हें जरूरी संसाधन जुटाने में मदद देने की है।
देश में मौजूदा समय में उच्च शिक्षा का जीईआर 27 प्रतिशत के आसपास है। 2030 तक इसे 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य है। यह पहल इसलिए भी अहम है, क्योंकि मौजूदा समय में देश में एक हजार से ज्यादा विश्वविद्यालय और करीब 45 हजार कालेज तथा दूसरे उच्च शिक्षण संस्थान हैं।
नैक रैंकिंग में इनमें से सिर्फ 1,779 उच्च शिक्षण संस्थान ए कैटेगरी में हैं। इनमें 206 विश्वविद्यालय भी हैं। बाकी उच्च शिक्षण संस्थान या तो नैक रैंकिंग की ‘बी’ और श्सीश् कैटेगरी में हैं या फिर रैंकिंग प्रक्रिया में शामिल ही नहीं होते। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल श्बीश् और श्सीश् कैटेगरी वाले सभी संस्थानों पर फोकस किया जा रहा है। रैंकिंग में इनके पिछड़ने के कारणों की जानकारी जुटाई जा रही है।
नैक रैंकिंग का आकलन उच्च शिक्षण संस्थानों के जिन प्रमुख विषयों को लेकर किया जाता है, उनमें छात्र-शिक्षक अनुपात, छात्रों और शिक्षकों की कुल संख्या, शिक्षकों के स्वीकृत पदों की संख्या, पूर्णकालिक शिक्षकों की संख्या, शोध के क्षेत्र में प्रदर्शन, छात्र-कम्प्यूटर अनुपात, इंटरनेट, वाई-फाई का इस्तेमाल, फैकल्टी के विकास के लिए कार्यक्रम आदि शामिल हैं।
उच्च शिक्षण संस्थानों को नैक रैंकिंग में शीर्ष पर लाने के पीछे एक और बड़ी वजह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का नियम है। इसके तहत वही उच्च शिक्षण संस्थान आनलाइन कोर्स शुरू कर सकता है, जो नैक रैंकिंग में ‘ए’ कैटेगरी में शामिल होगा। नैक रैंकिंग का निर्धारण मानकों के आधार पर मिलने वाले अंकों के हिसाब से होता है। इनमें कुल चार सीजीपीए (क्यूमलेटिव ग्रेड प्वाइंट एवरेज) में से जिस संस्थान को तीन सीजीपीए से ज्यादा अंक मिलता है, वह ए कैटेगरी में रहता है। हालांकि, इसमें भी जिसका 3.51 या उससे ज्यादा अंक रहता है, उसे ए डबल प्लस कैटेगरी दी जाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button