यूक्रेन युद्ध में बम और गोलियों के अलावा इंफार्मेशन वार भी चरम पर
नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध में केवल बम और गोलियां ही नहीं बरस रही हैं, बल्कि सूचना युद्ध यानी इंफार्मेशन वार भी चरम पर है। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल वीआर चैधरी ने बीते दिन आगाह किया कि युद्ध अब हाइब्रिड स्वरूप में लड़े जाएंगे। यानी सूचना और प्रतिबंधों जैसे अन्य साधनों का भी व्यापक प्रयोग होगा। यूक्रेन युद्ध में ऐसा ही हो रहा है। सूचनाएं छनकर आने और इंफार्मेशन प्रोपैगेंडा किए जाने की खबरें वहां सामने आई हैं। इसी के आलोक में यह समझना आवश्यक है कि आखिर किस तरह का प्रोपैगेंडा यूक्रेन के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में चल रहा है।
अभी तक आई सूचनाएं काफी हद तक यही साबित करती हैं कि रूस ने यूक्रेन में व्यापक तबाही मचाई है। खासकर, बूचा में नरसंहार के बाद तो वैश्विक स्तर पर रूस की छवि बहुत खराब हो गई है। वहीं लगातार अपने खिलाफ हो रहे इस सूचना प्रसार पर रूस ने कहा है कि अमेरिका और ब्रिटेन झूठी बातें मीडिया में प्रचारित करने के लिए यूक्रेन को उकसा रहे हैं और मदद कर रहे हैं।
रूस ने पिछले माह यूक्रेन की राजधानी कीव से अपनी सेना पीछे हटा ली थी। इसके बाद यूक्रेन मीडिया को लाशें दिखाकर कह रहा है कि इन नागरिकों की हत्या रूसी सेना ने की है। समाचार एजेंसी रायटर के रिपोर्टर ने भी बूचा में शव देखे, लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं कर सका कि यह हत्याएं किसने की हैं। जबकि पूरे विश्व में इस तरह की सूचनाएं प्रसारित की गईं कि रूसी सेना ने ही बूचा नरसंहार किया है।
सेवानिवृत्त भारतीय सैन्य अधिकारी का भी दावा इंटरनेट मीडिया पर एक डिजिटल न्यूज चैनल का वीडियो वायरल है, जिसमें भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त मेजर राजेश पवार द्वारा रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों की शह पर किए जा रहे मीडिया दुष्प्रचार का जिक्र है। पवार यूक्रेन में युद्ध की रिपोर्टिग कर रहे हैं और इस वीडियो में कह रहे हैं कि यूक्रेन युद्ध में जितना प्रोपैगेंडा प्रयोग हुआ है, वह शायद द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से शायद कभी किसी युद्ध में नहीं हुआ। रूस द्वारा वैक्यूम बम के प्रयोग की बात भी इसी का हिस्सा निकली। रिहायशी क्षेत्रों में रूसी हमले और नुकसान की खबरें भी प्रोपैगेंडा हैं। वास्तविकता ऐसी नहीं है।
मेजर पवार वीडियो में कहते हैं कि यूक्रेन की सरकार ने 70 देशों के सौ पत्रकारों को लेकर कीव में यह दिखाने के लिए घुमाया कि रूसी सेना के हमले में नगरीय क्षेत्रों को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन इस प्रायोजित टूर में वह हमें केवल दो क्षतिग्रस्त साइट ही दिखा पाई। मारिपोल में भी रूस ने जबर्दस्त हवाई बमबारी की थी, लेकिन रिहायशी क्षेत्रों में एक भी बम नहीं गिरा। रूसी मीडिया की एक खबर का उल्लेख करते हुए वह कहते हैं कि यूक्रेनी सैनिक रिहायशी इमारतों से रूसी सेना पर हमले करते हैं तो प्रत्युत्तर में रूसी सैनिक भी हमला करते हैं। ऐसी स्थिति में किसी भी देश की सेना ऐसा ही करेगी। पवार ने वीडियो में कहा कि इस सूचना युद्ध में नाटो देश और अमेरिका जीतते हुए दिख रहे हैं। सूचना के क्षेत्र में अमेरिकी वर्चस्व है, फेसबुक से लेकर ट्विटर व अन्य मंचों तक। रूस की पहुंच इन तक बंद होने से वह अपनी बात नहीं रख पा रहा है।