राष्ट्रीय

प्रोन्नति में आरक्षण पर बिहार सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों पर बढ़ा आगे

याचिका वापस वापस लेगी सरकार
नई दिल्ली। प्रोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार केंद्र सरकार ने अपने सभी विभागों में अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) के प्रतिनिधित्व व प्रशासकीय कार्यक्षमता पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर आंकड़े जुटाने को कहा है। बिहार ने भी कुछ इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए अपनी पुरानी याचिका भी वापस लेने की इजाजत मांगी है जिसके जरिये प्रदेश में लगी रोक के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। बिहार ने कोर्ट से कहा है कि वह प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाकर नए तरीके से प्रमोशन में आरक्षण की शुरुआत करेगा। राजग शासित राज्य बिहार का यह रुख रोचक है क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका वापस नहीं ली गई है। केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई अब 14 मई के लिए लगी है। आरक्षण के मुद्दे पर कोर्ट की ओर से बार-बार सतर्कता बरतने की बात कही जा रही है। इसे समय के अनुसार ज्यादा पारदर्शी बनाने का सुझाव भी दिया जा रहा है। खासकर प्रोन्नति में आरक्षण को लेकर कई हाई कोर्ट ने कड़ा रुख दिखाया है। पटना हाई कोर्ट ने तो 2015 में इसे खारिज ही कर दिया था। इसी के खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट आई थी। केंद्र ने कोर्ट से कहा है कि अगर इसमें छेड़छाड़ हुई तो परेशानी खड़ी हो सकती है।
बहरहाल कोर्ट के रुख को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी अपने सभी विभागों को कहा है कि वह प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाए। बिहार सरकार ने अब मन बना लिया है कि ऐसा रास्ता अपनाया जाए जहां विवाद का स्थान ही न रहे। बिहार सरकार की ओर से पांच अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर बताया गया है कि वह 28 जनवरी, 2022 के शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार कैडर आधारित आंकड़ा जुटाना शुरू करेगी। लिहाजा पुरानी याचिका वापस लेने की इजाजत दी जाए।

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