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दुनिया की खाद्य सुरक्षा पर यूक्रेन युद्ध की बमबारी, हिंसा भड़कने का खतरा, अफ्रीकी देश सर्वाधिक प्रभावित

नई दिल्ली । रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से सीधे जुड़े ये दोनों देश तो गंभीर रूप से प्रभावित हो ही रेहे हैं, लेकिन यह जंग दुनिया की एक बड़ी आबादी को भूखमरी की तरफ भी ढकेल रही है। इसे लेकर विशेषज्ञों ने गंभीर चिंता जाहिर की है। एक तरफ जलवायु परिवर्तन ने पहले ही वैश्विक औसत कृषि उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया है उसके बाद इस युद्ध को विश्व के खाद्यान्न उत्पादन पर दोहरी मार के तौर पर देखा जा रहा है।
कैनबरा यूनिवर्सिटी के खाद्य विशेषज्ञों के अनुसार जलवायु परिवर्तन पहले ही से वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न उत्पादन को कुल का पांचवा हिस्सा कम कर चुका है। इस युद्ध ने इस समस्या को और गहराया है। रूस और यूक्रेन की दुनिया के कुल गेहूं निर्यात में 30 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। ऐसे में अपनी खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जो देश विशुद्ध आयात पर आश्रित हैं, उनके यहां भुखमरी की बड़ी समस्या पैर पसार रही है।
पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के देशों के सामने खाद्यान्न संकट की सबसे बड़ी चुनौती आ सकती है। ये देश यूक्रेन के गेहूं के प्रमुख आयातक हैं। दैनिक जीवन से जुड़ी तमाम जरूरतें ये देश आयात से ही पूरी करते हैं।
वैश्विक औसत तापमान में 1.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि ने ही दुनिया के कृषि उत्पादन को 21 फीसद कम कर दिया है। हालांकि इसका असर अमीर देशों पर ज्यादा नहीं पड़ रहा, लेकिन गरीब देशों की कमर टूट रही है।
अफ्रीका, मध्य और दक्षिण अमेरिका के देशों में बाढ़ और सूखे से फसलों को नुकसान पहुंचने के कारण खाद्य असुरक्षा और कुपोषण तेजी से बढ़ा है। खाद्य असुरक्षा अन्य तमाम मानव जीवन से जुड़ी परिस्थितियों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रही है। इससे हिंसा भड़कने के खतरे को नकारा नहीं जा सकता।

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