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कोरोना महामारी के बाद भारतीय उपभोक्ताओं में बढ़ी बचत की आदत

नई दिल्ली। भारत के ज्यादातर उपभोक्ता अगले एक साल में अपनी वित्तीय स्थिति को लेकर उत्साहित हैं, लेकिन उन्होंने वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती लागत पर चिंता जताई है। वैश्विक सलाहकार कंपनी अर्नस्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती लागत उपभोक्ताओं के खरीद निर्णयों को प्रभावित कर रही है। भारत के ईवाई फ्यूचर कंज्यूमर इंडेक्स के नौवें संस्करण के निष्कर्षाे में कहा गया है कि बढ़ती जीवन लागत के प्रबंधन के बारे में अनिश्चितता की वजह से 80 प्रतिशत लोग अधिक बचत कर रहे हैं। गौरतलब है कि यह सर्वे भारतीय उपभोक्ताओं के श्सकारात्मक दृष्टिकोणश् की पुष्टि करता है क्योंकि 77 प्रतिशत लोगों को अगले एक साल में अपनी वित्तीय स्थिति में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उनके वैश्विक समकक्षों से बेहतर है। बता दें कि वैश्विक स्तर पर ऐसी राय जताने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 48 प्रतिशत है। रिपोर्ट कहती है, फरवरी, 2022 में 1,000 से अधिक भारतीय उपभोक्ताओं पर किए गए सर्वे के मुताबिक, अधिकांश उपभोक्ताओं ने वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती लागत पर चिंता जताई है। ईवाई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में यह स्थिति निम्न आय वालों को सबसे अधिक प्रभावित करती है। ऐसे लोगों की संख्या 72 र्घ्प्रतिशत है। उसके बाद उच्च-आय वर्ग के 60 प्रतिशत मध्यम-आय वर्ग के 58 प्रतिशत उपभोक्ता इससे प्रभावित हैं।
ईवाई इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट और रिटेल सेक्टर के अंशुमान भट्टाचार्य ने कहा कि बढ़ती कीमत संवेदनशीलता और मुद्रास्फीति के माहौल के साथ, कंपनियों को उपभोक्ताओं के साथ जुड़े रहने के लिए कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा, इससे एफएमसीजी कंपनियों को अपने राजस्व और मार्जिन वाटरफाल्स को देखने और लाभप्रदता बढ़ाने के लिए मूल्य श्रृंखला में बाहरी खर्च को कम करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद उपभोक्ताओं की सबसे बड़ी प्राथमिकताएं बेहतर स्वास्थ्य और बेहतर वातावरण बन चुकी है

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