उत्तराखण्ड

पूरे विधि-विधान के साथ खुले हेमकुंड साहिब और लक्ष्मण मंदिर के कपाट

श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में लगाई डुबकी
चमोली। सिखों के विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट रविवार को सुबह 09.30 बजे पूरे विधि-विधान के साथ खोले दिए गए है। इससे पहले सुबह 9 बजे लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट खोले गए। हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने की प्रक्रिया सुबह साढ़े नौ बजे से शुरू हुई। पंज प्यारों की अगुआई में सुबह 9ः30 बजे कपाट खुलने के बाद दरबार साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब सुशोभित हुए। इसके बाद सुबह 10 बजे सुखमणि का पाठ हुआ। 11ः15 शबद कीर्तन और दोपहर में 12ः30 बजे हेमकुंड साहिब में इस साल की पहली अरदास होगी। इस मौके पर मुख्य ट्रस्टी जनक सिंह, गोविंदघाट गुरुद्वारे के वरिष्ठ प्रबंधक सरदार सेवा सिंह, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार आदि मौजूद रहे। दो वर्ष बाद अपने भव्य स्वरूप में शुरू हो रही हेमकुंड साहिब की यात्रा को लेकर भ्यूंडार घाटी में उल्लास का माहौल है। घाटी के ग्रामीण गोविंदघाट से लेकर हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया तक होटल-ढाबा, घोड़ा-खच्चर व डंडी-कंडी समेत अन्य व्यावसायिक गतिविधि संचालित करते हैं।

हालांकि, हेमकुंड साहिब पैदल मार्ग पर शीतकाल के दौरान क्षतिग्रस्त शौचालयों की अभी मरम्मत नहीं हो पाई है। इससे श्रद्धालुओं को परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। जत्थे में शामिल होने के लिए चार हजार से अधिक श्रद्धालु गोविंदघाट व जोशीमठ गुरुद्वारा पहुंचे थे। इनमें सरदार जनक सिंह व गुरवेंद्र सिंह का जत्था भी शामिल हैं। ये दोनों जत्थे बीते 20 वर्षों से कपाटोद्घाटन व कपाटबंदी के मौके पर धाम में मौजूद रहते हैं. इस बार भी इन दोनों जत्थों ने अपनी परंपरा बरकरार रखी है। सरकार और गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट ने इस पवित्र धाम आने वाले यात्रियों की संख्या को सीमित किया है। ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेंद्र जीत सिंह बिन्द्रा ने बताया कि, इस साल हर रोज 5 हजार श्रद्धालु हेमकुंड साहिब के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने ये भी बताया कि इस यात्रा पर आने वाले सभी यात्री अब ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से ही अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं और ये सभी के लिए अनिवार्य भी होगा।

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