राष्ट्रीय

देश में मंकीपाक्स का कोई केस नहीं लेकिन तैयारियां पुख्ता

ट्रिविट्रान हेल्थकेयर ने विकसित की जांच किट
नई दिल्ली। दुनिया के 20 से ज्यादा मुल्कों में फैल चुके मंकीपाक्स वायरस को लेकर दहशत का आलम है। राहत की बात यह है कि यह वायरस अभी तक भारत नहीं पहुंचा है। भारत में मंकीपाक्स का कोई केस सामने नहीं आया है। फिर भी इससे बचाव को लेकर चिकित्सा जगत की तैयारियां तेज हैं। चिकित्सा उपकरण बनाने वाली कंपनी ट्रिविट्रान हेल्थकेयर ने घोषणा की कि उसने भारत में मंकीपाक्स के संक्रमण का पता लगाने के लिए रीयल टाइम पीसीआर-बेस्ड किट विकसित की है। ट्रिविट्रान हेल्थकेयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंद्र गंजू ने कहा कि भारत हमेशा ही दुनिया को मदद देने में सबसे आगे रहा है। खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने दुनिया की बढ़चढ़ कर मदद की। मौजूदा वक्त में दुनिया को सहायता की जरूरत है। वहीं यूएस सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि मंकीपाक्घ्स वायरस ऑर्थाेपाक्स वायरस जीनस से संबंधित है। सीडीसी के मुताबिक यह पाक्सविरिडे परिवार का सदस्य है। सनद रहे वेरियोला वायरस जो चेचक का कारण बनता है वह भी आर्थाेपाक्स वायरस जीनस का सदस्य है। आर्थाेपाक्स वायरस जीनस के अन्घ्य सदस्यों में वैक्सीनिया वायरस और काउपाक्स भी शामिल है। यह चार जीन आरटी-पीसीआर किट है जिसके जरिए आर्थाेपॉक्स समूह के वायरसों की पहचान की जाती है। यह किट सबसे पहले आर्थाेपॉक्स समूह के वायरस की पहचान करती है। अंत में यह मानव कोशिका में आंतरिक नियंत्रण का पता लगाती है। फिलहाल यह किट केवल शोध कार्य में उपयोग के लिए उपलब्ध है। ट्रिविट्रान की भारत, अमेरिका, फिनलैंड, तुर्की और चीन में भी शाखाएं हैं।

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