भारत माता की आराधना नई अवधारणा नहीं, राष्ट्र की चेतना में है समाहित; जेएनयू में आयोजित संगोष्ठी में बोले वक्ता
नई दिल्ली। जेएनयू के ताप्ती हॉस्टल में रविवार रात एक गोष्ठी का आयोजन हुआ। यह आयोजन राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस के उपलक्ष्य में वाल्मीकि अध्ययन मण्डल, जेएनयू द्वारा किया गया। इसमें जाकिर हुसैन महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य व ‘शोध’ राष्ट्रीय सह-संयोजक शशांक तिवारी मुख्य वक्ता रहे। गोष्ठी का शीर्षक ‘भारत वंदे मातरम्रू जीवंत देवी स्वरूप भारत माता पर वार्तालाप’ रहा। छह जुलाई को अध्ययन मण्डल ने महर्षि अरविंद द्वारा रचित लेख भवानी मंदिर के वाचन तथा परिचर्चा का आयोजन किया था। इसमें भारत की समकालीन दशा, भवानी भारती के स्वरूप तथा उनसे (शक्ति का) आह्वाहन करने की विधि पर विचार-विमर्श हुआ। इसी कड़ी में इस गोष्ठी का आयोजन किया गया।
शशांक तिवारी ने बताया कि पाश्चात्य आधुनिकता ने वैश्विक मानस-पटल पर एक मानव-केंद्रित विमर्श को स्थापित कर दिया है। इसमें प्रकृति/पृथ्वी के साथ दिव्यता का सहज भाव स्थान नहीं पाता है। प्रकृति के साथ जो पारिवारिक भावना हर साधारण भारतीय सहज ही महसूस करता है वह भारतीय चिति का एक लक्षण है। इसको ग्राह्य बनाने के लिए राधाकुमुद मुखर्जी, महर्षि अरविंद, जैसे विद्वानों को पढ़ना जरूरी है। इसके बाद जन-सामान्य को उनकी भाषा, लिपि व मुहावरे में समझाना ही हमारे शोध कार्य का ध्येय होना चाहिए।
परिचर्चा में शशांक तिवारी ने यह स्पष्ट किया कि भारत माता का देवी रूप में प्रतिष्ठित होना एक समकालीन घटना जरूर है लेकिन इसमें कुछ नया नहीं है। भारतीय चिति के अनुरूप ही भारत माता की शक्ति रूप में अराधना शुरु हुई। पृथिवी-सूक्त एवं पुरातन इतिहास-काव्यों के युग से ही धरती को मातृभूमि की संज्ञा भारत देता आया है। इसी परंपरा में ही भारत माता को प्रतिष्ठित किया गया।
आधे घंटे के व्याख्यान के बाद डेढ़ घंटे की खुली चर्चा हुई। इसमें उपस्थित छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। वाल्मीकि अध्ययन केंद्र संयोजक अर्जुन आनंद ने मंच संभाला व सह-संयोजिका रिया शाह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। वंदे मातरम् के गायन के साथ कार्यक्रम की समाप्ति की गई। कार्यक्रम में अध्ययन मंडल सह-संयोजक उमेश गर्नायक, अनिल पाण्डेय, दिव्यप्रकाश, संस्कार शर्मा, नीरज, आदर्श आदि सदस्य भी उपस्थित रहे। वाल्मीकि अध्ययन केंद्र जेएनयू में भारत केंद्रित व भारत-बोध पर आधारित विमर्श खड़ा करने का उद्देश्य लेकर कार्यरत है। इसी कड़ी में हम और भी कार्यक्रम कराते रहेंगे।