राष्ट्रीय

चीन सीमा पर ऑल वेदर सड़कें बना रहा भारत

पिछले 5 वर्षों में खर्च किए 15,000 करोड़ रुपये
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि भारत ने भारत-चीन के पास के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार के साथ-साथ 2,088 किलोमीटर की ऑल वेदर वाली सड़कों का निर्माण किया है। गौरतलब है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के बीच 2020 की झड़प के बाद से तनाव और बढ़ गया है। ऐसे में भारत लगातार सीमा क्षेत्रों में अपनी कनेक्टिविटी में सुधार कर रहा है। केंद्र ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में एलएसी पर निर्माण गतिविधि के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के विकास पर काफी फोकस रहा है।
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने संसद के ऊपरी सदन में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि सरकार ने 5 साल की समयावधि में भारत-चीन सीमा के पास सड़क परियोजनाओं पर 15,477 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। कुल मिलाकर, भारत ने चीन, पाकिस्तान, म्यांमार और बांग्लादेश के साथ सीमाओं तक हर मौसम में पहुंच प्रदान करने के लिए 3,595 किलोमीटर लंबी सड़कों के निर्माण पर 20,767 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। भट्ट ने कहा कि इन परियोजनाओं को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि इसमें भारत-पाकिस्तान सीमा के पास 4,242 करोड़ रुपये की लागत से 1,336 किलोमीटर की सड़कें भी शामिल हैं।
भारत अपनी चीन सीमा के पास के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके अलावा एलएसी पर चल रहे गतिरोध के बीच लद्दाख सेक्टर में भी सड़कों, पुलों और सुरंगों सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में तेजी आई है।
अधिकारियों ने कहा कि बीआरओ ने दिसंबर 2022 तक चीन की सीमा पर सभी 61 रणनीतिक सड़कों को पूरा करने की योजना बनाई है ताकि सैनिकों और उसके साजो-सामान को आगे के क्षेत्रों में तेजी से ले जाने में मदद मिल सके। हालांकि इस बीच चीन भी एलएसी के किनारे बुनियादी ढांचे को बढ़ा रहा है। भारत और चीन मई 2020 से पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से आमने-सामने की स्थिति में हैं।

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