राष्ट्रीय

नेताजी’ और पार्टी के बिगड़े बोल पर चुनाव आयोग भी बेबस

नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि यदि कोई राजनीतिक दल या उसके सदस्य घृणापूर्ण भाषण देते हैं तो आयोग उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। उसके पास किसी राजनीतिक दल की मान्यता वापस लेने, निरस्त करने या उसके सदस्यों को अयोग्य घोषित करने का कानूनी अधिकार नहीं है। नेताओं के नफरती भाषणों पर अंकुश लगाने के उपायों की मांग करने वाली एक जनहित याचिका के जवाब में आयोग ने यह हलफनामा दायर किया है।
दरअसल, निर्वाचन आयोग ने इसमें कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के मामले में राष्ट्रीय विधि आयोग को यह सवाल भेजा था कि क्या यदि कोई पार्टी या उसके सदस्य घृणा भाषण देते हैं, तो चुनाव आयोग को राजनीतिक दल की मान्यता रद्द करने, उसे या उसके सदस्यों को अयोग्य घोषित करने वाले की शक्ति प्रदान की जानी चाहिए। लेकिन विधि आयोग ने इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट में न तो अदालत के इस सवाल का जवाब दिया कि क्या चुनाव आयोग को किसी दल को या घृणा भाषण देने पर उसके सदस्यों को अयोग्य घोषित करने की शक्ति दी जानी चाहिए।
उसने स्पष्ट रूप से अभद्र भाषणों के खतरे को रोकने के लिए चुनाव आयोग को मजबूत करने के वास्ते संसद को कोई सिफारिश भी नहीं की। हालांकि विधि आयोग ने सुझाव दिया कि आईपीसी और सीआरपीसी में कुछ संशोधन किए जाएं। विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में आईपीसी की धारा-153 सी और 505 ए को शामिल करते हुए आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2017 की सिफारिश की थी। यह भी कहा गया था कि आचार संहिता में भी संशोधन किया जाना चाहिए, लेकिन आयोग को मजबूत करने के संबंध में विधि आयोग ने कोई सिफारिश नहीं की थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button