उत्तराखण्ड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने वर्ष 2016 के बाद विधानसभा में हुई सभी बैकडोर भर्तियों को किया निरस्त
नियुक्तियों में अनियमितताएं बरती गई थी, इसके लिए निर्धारित नियमों का भी पालन नहीं किया
देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने वर्ष 2016 के बाद विधानसभा में हुई सभी बैकडोर भर्तियों को निरस्त कर दिया है। इसकी जद में कुल 228 कर्मचारी आ रहे हैं, इसके अलावा उपनल के जरिए नियुक्त 22 कर्मचारियों की नियुक्ति भी रद्द कर दी गई है। इस तरह इस अवधि में कुल 250 भर्तियों को निरस्त किया गया है। इसके लिए शासन को पत्र लिखा जा रहा है। 2016 से पूर्व हुई नियुक्तियों पर भी कानूनी राय ली जा रही है।
शुक्रवार को विधानसभा में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में स्पीकर ऋतु खंडूडी ने कहा कि बैकडोर भर्ती की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने गुरुवार देर रात उन्हें अंतिम रिपोर्ट सौंपी है। इसी रिपोर्ट की संस्तुति के अनुसार वो 2016 के बाद नियुक्ति सभी तदर्थ नियुक्तियों को रद्द कर रही हैं। स्पीकर ने साफ तौर पर स्वीकार किया कि साल 2016, 2020 व 2021 में हुई तदर्थ नियुक्तियों में अनियमितताएं बरती गई थी, इसके लिए निर्धारित नियमों का भी पालन नहीं किया गया। जांच कमेटी ने अलग दृ अलग कोर्ट से नियम विरुद्ध भर्तियों को लेकर आए आदेशों के आधार पर इन तदर्थ नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की सिफारिश की है। उन्होंने 2016 की 150 तदर्थ नियुक्तियों के साथ ही 2020 की छह और 2021 की 72 नियुक्तियों को निरस्त करने का निर्णय लिया है।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने कहा कि प्रेस वार्ता की शुरुआत करते हुए कहा कि आप जानते हैं कि मैंने आपके माध्यम से अपनी मंशा प्रदेश के सामने रखी थी और कहा था कि युवाओं को निराश नहीं होना है और मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि मैं प्रदेश के युवाओं के आशाओं व अपेक्षाओं पर खरी उतरने का प्रयास करूगीं। मैंने यह भी कहा था कि मैं अनियमितताओं को लेकर कठोर निर्णय लेने में संकोच नहीं करूगीं । आज 23 सितम्बर है और ठीक बीस दिन पहले 03 सितम्बर को यहीं पर हम-आपने बातचीत की थी। तब मैने यह वादा भी किया था कि जल्दी ही आपसे फिर मुलाकात होगी।
मैं आप सबको सूचित करना चाहती हूँ कि मुझे गुरुवार को देर रात विशेषज्ञ समिति से जॉच रिपोर्ट प्राप्त हो गयी है। समिति ने सराहनीय कार्य किया है और निर्धारित अवधि के पूर्व ही रिपोर्ट सौप दी है।
पूरी रिपोर्ट 214 पेज की है। लेकिन इसमे सलंग्नक भी शामिल हैं, जबकि केवल रिपोर्ट का अंश 29 पेज का है। समिति ने विधान सभा सचिवालय के रिकार्ड का परीक्षण करने पर यह पाया है कि वर्ष 2016 तक, वर्ष 2020 तथा वर्ष 2021 में जो तदर्थ नियुक्तियां की गयी उनमें अनियमितताए थीं तथा इन भर्तियों में विभिन्न पदों के लिये निर्धारित नियमों का पालन नहीं हुआ है। समिति ने विभिन्न न्यायालयों द्वारा नियम विरूद्ध भर्तियों के सम्बन्ध मे समय-समय पर दिये गये आदेशों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है कि निम्नलिखित कारणों से नियमों के विरूद्ध की गयी इन तदर्थ नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाए। समिति ने वर्ष 2016 तक 150 तदर्थ नियुक्तियों, वर्ष 2020 में 06 तदर्थ नियुक्तियों तथा वर्ष 2021 में 72 तदर्थ नियुक्तियों की पहचान कर उन्हें निरस्त करने की सिफारिश की है।
समिति ने बताया निरस्त करने के कारण
1 सेवा के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिये निर्धारित चयन समिति का गठन नहीं किया गया। इस प्रकार यह तदर्थ नियुक्तियां चयन समिति के माध्यम से नहीं की गयी है।
2 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु कोई विज्ञापन नहीं दिया गया और न ही कोई सार्वजनिक सूचना दी गयी और न ही रोजगार कार्यालय से नाम मंगाये गये।
3 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु इच्छुक अभ्यर्थियों से आवेदन पत्र नहीं मांगे गये, केवल व्यक्तिगत आवेदन पत्रों पर नियुक्ति प्रदान कर दी गयी।
4 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु कोई प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित नहीं की गयी ।
5 इन तदर्थ भर्तियों के लिये सभी पात्र एवं इच्छुक अभ्यर्थियों को समानता का अवसर प्रदान नही करके भारत के संविधान के अनुच्छेद-14 एवं अनुच्छेद-16 का उल्लंघन हुआ है