-
हाई कोर्ट नैनीताल ने 2006 के शासनादेश पर लगा दी थी रोक
-
मुख्यमंत्री धामी ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत
देहरादून । स्थानीय महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर रोक संबंधी नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की स्वीकृति के बाद महिला आरक्षण को यथावत रखने के लिए राज्य सरकार की ओर से सर्वाेच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की गई थी। इसी पर सर्वाेच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्टे दिया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के प्रदेश की महिलाओं के हित में दिए गए फैसले का हम स्वागत करते हैं। हमारी सरकार प्रदेश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। हमने महिला आरक्षण को यथावत बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने की भी पूरी तैयारी कर ली थी। साथ ही हमने उच्चतम न्यायालय में भी समय से अपील करके प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट नैनीताल ने राज्य लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित सेवा, प्रवर सेवा के पदों के लिए आयोजित परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी थी।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने हाई कोर्ट में कहा था कि राज्य सरकार की ओर से 18 जुलाई 2001 और 24 जुलाई 2006 के शासनादेश के अनुसार, उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जो असंवैधानिक है।
इस पर सरकार ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि संविधान के अनुच्छेद-15 व 16 के अनुसार आवास के आधार पर कोई राज्य आरक्षण नहीं दे सकता, यह अधिकार केवल संसद को है। राज्य केवल आर्थिक रूप से कमजोर व पिछले तबके को आरक्षण दे सकता है। सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य की महिलाओं को आरक्षण दिया जाना संविधानसम्मत है।
सीएम धामी ने कहा , राज्य की महिलाओं के हित में सुप्रीम कोर्ट ने लिया बड़ा निर्णय
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में महिलाओं को आरक्षण पर रोक संबंधी उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के आदेश पर सर्वाेच्च न्यायालय की और से स्टे दिया गया है। यह राज्य की महिलाओं के हित में लिया गया बड़ा निर्णय है। उच्चतम न्यायालय की ओर से प्रदेश की महिलाओं के हित में दिए गए फैसले का हम स्वागत करते हैं।हमारी सरकार प्रदेश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। हमने महिला आरक्षण को यथावत् बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने की भी पूरी तैयारी कर ली थी। साथ ही हमने उच्चतम न्यायालय में भी समय से अपील करके प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें नये संकल्पों के साथ नया उत्तराखण्ड बनाना है। यह हम सबके सामुहिक प्रयासों से ही संभव होगा, जब हम सब एक साथ कदम मिलाकर चलेंगे तो हमें सफलता अवश्य मिलेगी।
डॉ. अग्रवाल ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने की थी ठोस पैरवी
देहरादून । वित्त, संसदीय, शहरी विकास व आवास, पुनर्गठन व जनगणना मंत्री डा- प्रेमचंद अग्रवाल ने राज्य में 30 प्रतिशत महिला आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेश का स्वागत किया है। राज्य सरकार ने इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट में ठोस पैरवी की थी। उसी के परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को यथावत रखने का आदेश सुनाया है। डा- अग्रवाल ने कहा कि जहां उत्तराखंड राज्य यहां की महिलाओं के संघर्ष के बाद प्राप्त हुआ। महिलाओं के लिए यह राज्य सदैव ऋणी रहेगा। उत्तराखंड में महिलाओं को मां, बहन और बेटी के रूप में पूजा जाता है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस वत्तफ़ में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब पूरा उत्तराखंड अपना लोकपर्व इगास मना रहा है। आज ही के दिन ग्राम्य विकास विभाग की ओर से लखपति दीदी योजना परवान चढ़ी है। 2025 तक सरकार ने सवा लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य निश्चित किया है।
बोले महेंद्र भट्ट, भाजपा महिला हितों के प्रति प्रतिबद्ध
देहरादून। भाजपा ने महिला क्षैतिज आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे सरकार की महिला हितों को लेकर प्रतिबद्धता स्पष्ट हुई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही स्पष्ट कर चुके थे कि सरकार राज्य निर्माण की धुरी महिलाओं के हितों पर आंच नही आने देंगे। हालांकि विपक्षी इसे राजनैतिक मुद्दा बनाकर तूल देने की कोशिश करते रहे। भट्ट ने कहा कि महिलाओं के हित मे राज्य सरकार की कई योजनाएं संचालित है और उन्हे सम्मान तथा रोजगार की दिशा मे आगे बढ़ाने की दिशा मे सरकार गंभीरता से प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री धामी के कुशल नेतृत्व और प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन मे अगला दशक उतराखंड का है और इसमे मातृ शत्ति की अहम भागेदारी होगी।
Back to top button