उत्तराखण्डदेहरादून

आपदा से निपटने के लिए किया गया मॉक ड्रिल, राज्य आपातकालीन केंद्र से की गई निगरानी

सचिव गृह, डीजीपी और आपदा प्रबंधन सचिव ने व्यवस्थाओं का लिया जायजा
देहरादून। राज्य सरकार ने बुधवार को देहरादून जनपद में एक व्यापक सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आयोजन किया। इस अभ्यास का उद्देश्य किसी आपदा की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देना और राज्य की तैयारियों की वास्तविकता परखना था। मॉक ड्रिल की मॉनिटरिंग देहरादून में स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से की गई।
ड्रिल के दौरान सचिव गृह शैलेश बगौली, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, और आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन स्वयं राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचे और सभी गतिविधियों की बारीकी से निगरानी की। वहीं, जिलाधिकारी सविन बंसल और उनका प्रशासनिक दल जिला आपातकालीन केंद्र से वर्चुअल माध्यम से राज्य केंद्र से जुड़े रहे। बैठक में अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी, यूएलएमएमसी के निदेशक शांतनु सरकार, मनीष कुमार भगत, रोहित कुमार, डॉ. वेदिका पन्त, डॉ. पूजा राणा, हेमंत बिष्ट,  तंद्रिला सरकार आदि मौजूद थे।
ड्रिल का संचालन पूरी रणनीति के साथ किया
मॉक ड्रिल की शुरुआत तय समय से पूर्व सायरन बजाकर की गई। इसके बाद फोर्स को घटनास्थलों, स्टेजिंग एरिया, इंसीडेंट कमांड पोस्ट और राहत शिविरों से जोड़ा गया।
सचिव गृह बगौली ने जिलाधिकारी से सीधे संवाद कर यह जानकारी ली कि जैसे ही घटना की सूचना प्राप्त हुई, कितनी जल्दी टीमों को रवाना किया गया। मॉक ड्रिल के दौरान घटना प्रतिक्रिया प्रणाली को सक्रिय किया गया। सचिव गृह ने बताया कि एक प्रभावी आपदा प्रबंधन ढांचा है, जिसके तहत हर विभाग और अधिकारी की पूर्व निर्धारित जिम्मेदारी होती है।
मॉक ड्रिल के फील्ड संचालन पर रहा खास ध्यान
पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने मॉक ड्रिल के फील्ड संचालन पर खास ध्यान दिया। उन्होंने अधिकारियों से रिजर्व उपकरण, एंबुलेंस, और राहत वाहनों की जानकारी ली। साथ ही निर्देश दिए कि किसी भी आपात स्थिति में ट्रैफिक संचालन बाधित न हो, इसकी पहले से व्यवस्था की जाए।
सामने आई कमियां और लूपहोल्स करें चिन्हित : सुमन
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने मॉक ड्रिल के बाद अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि अभ्यास के दौरान जो भी कमियां और लूपहोल्स सामने आए हैं, उन्हें चिन्हित किया जाए। इन पर डीब्रीफिंग सत्र आयोजित कर चर्चा की जाए और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए, ताकि भविष्य में आयोजित अभ्यासों में इन्हें सुधारा जा सके।

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