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धामी कैबिनेट की बैठक में 25 फैसलों पर लगी मोहर
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RWD की वित्तीय सीमा 15 करोड़ से बढ़ाकर असीमित की गई
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जमरानी बांध प्रभावित 1323 परिवारों का किया जाएगा पुनर्वास
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केदारनाथ धाम में लगेगी विशिष्ट प्रकार की ओम की कलाकृति
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राज्य में मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए टावर लगाने को 2000 वर्ग फीट निशुल्क भूमि आवंटन का फैसला
एस. आलम अंसारी
देहरादून ।उत्तराखंड प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई ।इस बैठक में 26 मामले आए। जिसमें एक मामले को छोड़कर सभी 25 प्रस्ताव पास किए गए। इस दौरान धर्मांतरण का कानून सख्त करने का फैसला हुआ। अब उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून गैर जमानती हो गया। इसमें 10 साल की सजा होगी।
धामी कैबिनेट में 25 अहम प्रस्तावों पर मुहर लगी। इस दौरान नैनीताल हाईकोर्ट को शिफ्ट करने को लेकर बड़ा फैसला हुआ। बैठक में नैनीताल हाईकोर्ट को हल्द्वानी में शिफ्ट करने की सैद्धांतिक मंजूर दी गई।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि नैनीताल हाईकोर्ट को शिफ्ट करने की लंबे समय से मांग चल रही थी, जिस पर अब जाकर धामी मंत्रिमंडल की मुहर लगी है बैठक में राजकीय सेवा में राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई। इसके अलावा शिक्षा विभाग में अतिथि शिक्षकों की भर्ती, नर्सिंग भर्ती नियमावली को मंजूरी, खनन नीति में वन स्टेट वन रॉयल्टी का प्रावधान, पीआरडी जवानों को मातृत्व अवकाश के लाभ का प्रस्ताव भी बैठक में चर्चा के लिए लाया जा सकता है। आवास विकास विभाग, राजस्व, लोनिवि, गृह विभाग से संबंधित प्रस्ताव पर भी कैबिनेट में चर्चा के लिए लाए जा सकते हैं। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
कैबिनेट के प्रमुख निर्णय
1. परिवहन विभाग के अन्तर्गत मा० मुख्यमंत्री द्वारा दिनांक 21.04.2022 को की गई घोषणा विधान सभा क्षेत्र चम्पावत के अन्तर्गत एआरटीओ का कार्यालय खोले जाने के सम्बन्ध में लोक हित एवं मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रियान्वयन के दृष्टिगत जनपद चम्पावत में सभ्भागीय निरीक्षक (प्राविधिक) कार्यालय की स्थापना की जा रही है।
2. उत्तराखण्ड राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला अराजपत्रित (तकनीकी) समूह ’ख’ (संशोधन) सेवा नियमावली 2021 में ज्येष्ठ वैज्ञानिक सहायक का पद समूह ख में अराजपत्रित होने के दृष्टिगत संगत सेवा नियमावली के विद्यमान नियम 9 में संशोधन के लिए उत्तराखण्ड राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला अराजपत्रित (तकनीकी) समूह ख (द्वितीय संशोधन) सेवा नियमावली 2022 प्रख्यापित किये जाने के प्रस्ताव पर मंत्रिमण्डल की और से अनुमोदन प्रदान किया गया है।
3. राज्य के भीतर अवस्थित जल विद्युत परियोजनाओं को व्यवसायिक एवं व्यवहारिक रूप से मूर्त रूप प्रदान किये जाने ह 74ः26 प्रतिशत की अंशधारिता के साथ टी०एच०डी०सी० (इण्डिया) लि0 एवं यूजेवीएन लि0 के मध्य संयुक्त उपक्रम गठित किये जाने विषयक प्रस्ताव पर मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया। इस प्रस्ताव पर कार्यवाही से जहां राज्य में संभावित एवं उपलब्ध जल विद्युत परियोजनाओं के विकास पर त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित होगी वहीं दूसरी ओर टीएचडीसी इ. लि. के तकनीकी एवं वित्तीय संसाधनों का सदुपयोग हो पायेगा जिससे अत्प्रयक्ष रूप से राज्य आय संसाधन, क्षेत्र विकास एवं रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि संभव हो पायेगी। राज्य सरकार को परियोजनाओं के विकास के फलस्वरूप रॉयल्टी के रूप में 12 प्रतिशत विद्युत प्राप्त होगी।
4. ग्रामीण निर्माण विभाग उत्तराखण्ड सरकार के अन्तर्गत एक राजकीय विभाग है। ग्रामीण निर्माण विभाग की वित्तीय सीमा को रू0 15.00 करोड़ से बढाकर असीमित वित्तीय लागत के कार्यों को कराये जाने के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में अधिकृत किये जाने के सम्बन्ध में प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है। पूर्व स्थापित व्यवस्था के अन्तर्गत राज्य पोषित कौशल विकास योजना को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के नार्म्स के अनुसार संचालित किये जाने के निर्देश प्राप्त थे कौशल प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार एवं प्रशिक्षण प्रदाताओं की जवाबदेही सुनिश्चित किये जाने के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अन्तर्गत स्थापित भुगतान प्रक्रिया में कतिपय सुधार की आवश्यकता प्रतीत हुई। मंत्रिमण्डल की और से अनुमोदित नवीन भुगतान प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रशिक्षण प्रदाताओं को चार चरणों में भुगतान किया जायेगा। प्रशिक्षण प्रदाता को प्रथम किश्त का भुगतान 15% of total training cost Mobilization advance के रूप में, द्वितीय किश्त (15 प्रतिशत of total training cost ) का भुगतान प्रशिक्षणार्थियों की 70 प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित किये जाने पर, तृतीय किश्त (40 प्रतिशत of total training cost ) का भुगतान प्रशिक्षित युवाओं के प्रमाणीकरण कराये जाने के उपरान्त तथा चतुर्थ किश्त का भुगतान (30 प्रतिशत of total training cost ) को रोजगार से जोड़े जाने के प्रमाण उपलब्ध कराये जाने पर प्रत्येक सेवायोजित अभ्यर्थी के लिए Pro-rata के आधार पर देय होगा।
5. उत्तराखण्ड अग्निशमन एवं आपात सेवा अधीनस्थ अधिकारी / कर्मचारी सेवा नियमावली, 2016 में फायरमैन के पद पर भर्ती के लिए सामान्य / अन्य पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों के लिए पुलिस पैरिटी के अनुसार न्यूनतम ऊँचाई 165 सेमी0 किये जाने तथा महिला अग्निशामक (फायर वुमेन) एवं महिला अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के पद पर भर्ती के लिए शारीरिक नाप-जोख एवं शारीरिक अर्हता सम्बन्धी नियम-16 (ख) एवं तदसम्बन्धी परिशिष्टों में आंशिक संशोधन किये जाने के लिए उत्तराखण्ड अग्निशमन एवं आपात सेवा अधीनस्थ अधिकारी / कर्मचारी सेवा (संशोधन) नियमावली 2022 प्रख्यापित किये जाने के सम्बन्ध में मंत्रिमण्डल ने अनुमोदन प्रदान किया है।
6. उत्तर प्रदेश भू राजस्व अधिनियम, 1901 ( उत्तराखण्ड अनुकूलन एवं उपरान्तरण आदेश, 2001) की धारा-1 में संशोधन तथा धारा-233क में अध्यादेश दिनांक 31-08-2022 की और से संशोधन / अन्तःस्थापन किया गया है, जिसे विधेयक का स्वरूप दिया जाना है। जिससे वर्तमान तथा भविष्य में राजस्व विभाग के अन्तर्गत भू-राजस्व प्राप्त होने के साथ-साथ दाखिल खारिज की कार्यवाही न होने से उत्पन्न भूमि विवाद तथा उत्पन्न कठिनाईयों का समाधान हो जायेगा। उत्तराखण्ड राज्य में आवश्यकता एवं उद्देश्यों की प्रतिपूर्ति के लिए प्रस्तावित उत्तर प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम, 1901 (उत्तराखण्ड अनुकूलन एवं उपरान्तरण आदेश, 2001 ) की धारा-1 में तथा धारा-233 क के संशोधन / अन्तःस्थापन के लिए विधेयक का प्रस्ताव है।
7. उत्तराखण्ड राज्य में दुकानों एवं स्थापनों में नियोजित कर्मकारों के रोजगार एवं सेवा की अन्य शर्तों से संबंधित विधियों को विनियमित करने तथा उससे संबंधित या उसके अनुषांगिक मामलों के लिए उत्तराखण्ड दुकान और स्थापन (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) अधिनियम, 2017 की धारा 21 में अधिनियम के पंजीयन आदि के प्रावधानों के उल्लंघन के लिये जिसके परिणामस्वरूप किसी कर्मकार को गम्भीर शारिरिक क्षति या उसकी मृत्यु कारित करने वाली कोई दुर्घटना हुई है, के लिए नियोक्ता को कारावास से, जो छह मास तक हो सकेगा या जुर्माने से, जो दो लाख रूपये से कम नहीं होगा, लेकिन जो पांच लाख रूपये तक हो सकेगा या दोनों से दण्डित किये जाने का प्रावधान है। मंत्रिमण्डल सचिव, भारत सरकार, नई दिल्ली के पत्र दिनांक 02.05.2022 द्वारा ईज ऑफ लिविंग के अन्तर्गत नागरिकों को लघु उल्लंघनों के लिए कारावास के प्रावधानों को अपराध मुक्त (हटाये जाने) किये जाने की अपेक्षा की गयी है। तत्क्रम में प्रस्तावित उत्तराखण्ड दुकान और स्थापन ( रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) (संशोधन) विधेयक, 2022 द्वारा उत्तराखण्ड दुकान और स्थापन (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) अधिनियम, 2017 की धारा 21 में अधिनियम के पंजीयन आदि के उपबंधों के उल्लंघन के लिये प्रावधानित कारावास संबंधी दण्ड को हटाये जाने का प्रावधान प्रस्तावित किया जा रहा है।
8. भारत सरकार की और से बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 (यथा संशोधित 2016) के अधीन बाल एवं किशोर श्रम को प्रतिषेध किया गया है। उक्त अधिनियम की धारा-18 की उपधारा (1) में राज्य सरकार को अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए राजपत्र में अधिसूचना द्वारा पूर्व प्रकाशन की शर्त के अधीन रहते हुए नियम बनाने की शक्ति प्रदान की गयी है। इसके क्रम में बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 (यथा संशोधित, 2016 ) की धारा-18 की उपधारा (1) में वर्णित प्राविधानों के अधीन अधिसूचना से प्रभावित होने वाले हितधारकों से प्राप्त सुझाव / आपत्तियों का निराकरण करते हुए उत्तराखण्ड राज्य में बालक (14 वर्ष से कम आयु) और कुमार (14 वर्ष से 18 वर्ष के मध्य आयु) श्रमिकों के चिन्हीकरण एवं उनके पुर्नवास से संबंधित सभी आनुषांगिक मामलों को विनियमित किये जाने के लिए प्रस्तावित नियमावली प्रख्यापित की जा रही है।
9. उत्तराखण्ड सेवानिवृत्ति लाभ अधिनियम, 2018 के प्रख्यापन के बाबजूद भी विभिन्न कार्मिकों की और से दैनिक वेतन श्रमिक, तदर्थ, कार्यप्रभारित संविदा नियत वेतन एवं अंशकालिक रूप में तैनात होने की तिथि से सेवानिवृत्तिक लाभ दिये जाने के लिए न्यायालयों में बाद योजित किये जा रहे है, ऐसी स्थिति में राज्य के सीमित संसाधन के दृष्टिगत पारदर्शी प्रक्रिया लाये जाने के उद्देश्य से एक कानून बनाया जाना आवश्यक है।
10. देश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों / दुर्गम क्षेत्रों में अध्यासित नागरिकों को सतत् विकास की मुख्यधारा से जोड़े जाने समस्त नागरिक केन्द्रित सेवाओं, जन-कल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पारदर्शी, त्वरित एवं सुगमतापूर्वक पहुँचाने में दूरसंचार सेवाओं का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण योगदान है, जिस हेतु सरकार द्वारा निरन्तर प्रयास किये जा रहे है। इन्हीं प्रयासों के क्रम में दूरसंचार विभाग, संचार मंत्रालय, भारत सरकार की और से देशभर के 4जी मोबाईल कनेक्टिविटी अनाच्छादित गाँवों को 4जी मोबाईल कनेक्टिविटी से आच्छादित किये जाने का निर्णय लेते हुए चिन्हित् क्षेत्रों में मोबाईल टावर लगाये जाने के लिये भूमि वन क्षेत्रों की त्वरित अनापत्ति, निर्माण स्थल हेतु भूमि अधिग्रहण / लीज, मार्ग का अधिकार (त्वू) की अनुमति तथा विद्युत कनेक्टिविटी के लिये राज्य सरकारों से सक्रिय सहायता प्रदान किये जाने के साथ-साथ निम्नांकित बिन्दुओं पर सहयोग प्रदान किये जाने की अपेक्षा की गयी हैः-
– टावर लगाये जाने के लिए 2000 वर्गफीट भूमि का निःशुल्क आवंटन।
– आवंटित निर्माण स्थलों तक विद्युत आपूर्ति का विस्तार और यदि इस प्रकार की व्यवस्था न हो तो तीन माह के भीतर यथावश्यक प्राविधानों का कराया जाना।
– बी०एस०एन०एल० को सहयोग प्रदान किये जाने के लिए सिंगल प्वांइट ऑफ कॉन्टेक्ट’ का निर्धारण।
इसलिए इससे कम में उत्तराखण्ड राज्य के 4जी मोबाईल कनेक्टिविटी से अनाच्छादित गाँवों को बीएसएनएल की और से 4जी मोबाईल कनेक्टिविटी से आच्छादित करने के लिए टावर स्थापित करने के लिये 2000 वर्गफीट भूमि (वन भूमि के अतिरिक्त) निःशुल्क उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है।
11. उत्तराखण्ड राज्य में ब्लॉक स्तर से उच्च स्तर तक विभागीय प्रक्रिया को ऑनलाईन किये जाने एवं विभागों के समस्त डाटा को एकीकृत करने के लिए डाटा लेक’ विकसित किये जाने एवं अपणि सरकार पोर्टल के अन्तर्गत 329 नागरिक सेवाओं के लिए मानव संसाधन निक्सी के माध्यम से एकल स्रोत अन्तर्गत नियमानुसार आबद्ध किये जाने के सम्बन्ध में निर्गत शासनादेश के माध्यम से सहमति प्रदान की गयी है। इसी प्रकार शासनादेश दिनांक 29.07.2022 के माध्यम से परियोजना की वित्तीय स्वीकृति (परियोजना की अनुमानित लागत धनराशि रू0 22,00,00,000.00 (रु० बाईस करोड़ मात्र ) के लिए आगामी 02 वर्ष के लिये व्यय आईटीडीए के नियंत्रणाधीन केन्द्र पोषित ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना की अवशेष धनराशि रू0 8.00 करोड़ (रू० आठ करोड़ मात्र ) से किया जाना एवं शेष हेतु आगामी बजट में प्राविधान किया जाना है) भी प्रदान की गयी है। उक्त के अतिरिक्त शासनादेश दिनांक-17.08.2022 के माध्यम से राज्य के समस्त विभागों को डाटा लेक के सम्बन्ध में विभिन्न दिशा-निर्देश निर्गत किये गये है।
इस निर्गत शासनादेश दिनांक 29.07. 2022 शासनादेश संख्या- दिनांक 29.07.2022 तथा शासनादेश दिनांक-17.08.2022 पर कार्योत्तर स्वीकृति प्राप्त किया जाना प्रस्तावित है।
12. उत्तराखण्ड राज्य में दुकानों एवं स्थापनों में नियोजित कर्मकारों के रोजगार एवं सेवा की अन्य शर्तों से संबंधित विधियों को विनियमित करने तथा उससे संबंधित या उसके अनुषांगिक मामलों के लिए अधिसूचना दिनांक 05.01.2018 द्वारा उत्तराखण्ड दुकान और स्थापन (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) अधिनियम, 2017 बनाया गया है। उक्त अधिनियम की धारा 28 की उपधारा (1) में राज्य सरकार को अधिसूचना द्वारा अधिनियम के उपबन्धों को कार्यान्वित करने के लिए नियम बनाने की शक्ति प्राप्त है। उक्त के क्रम में उत्तराखण्ड दुकान और स्थापन (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) नियमावली 2022 प्रख्यापित किया जाना प्रस्तावित किया जा रहा है। प्रस्तावित नियमावली में जो मुख्य प्रावधान प्रस्तावित किये गये हैं उनका संक्षिप्त विवरण निम्नवत हैः- नियम 3 में दस या अधिक श्रमिकों को नियुक्त करने वाले प्रत्येक स्थापन के पंजीकरण के लिए ऑन-लाइन आवेदन, नियम 5 में स्थापन के पंजीकरण की रीति नियम 10 में महिला कर्मचारियों के नियोजन की शर्तों के साथ-साथ महिलाओं से रात की पाली में कार्य लिये जाने के लिए शर्तों का निर्धारण, नियम 11 में श्रमिकों के स्वास्थ्य सुरक्षा एवं कल्याण समिति का गठन, नियम 12 में स्थापन के परिसर में स्वच्छता, प्रकाश एवं वेंटिलेशन की व्यवस्था, नियम 14 में श्रमिकों के काम के घण्टे विश्रान्ति अन्तराल, साप्ताहिक अवकाश स्थापन परिसर में कार्यरत कर्मकारों के स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु कार्यस्थल में बैठने के लिए उपयुक्त व्यवस्था अनिवार्य रूप से किये जाने, नियम 21 में स्थापन में प्राथमिक चिकित्सा उपकरण आदि की व्यवस्था किये जाने के प्रावधान रखे गये हैं।
13. अपराधिक प्रक्रियाओं तथा कारावास सम्बन्धी प्रावधानों को गैर- अपराधिकृत किये जाने के भारत सरकार की पहल के उद्देश्य से उत्तराखण्ड कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध अधिनियम, 2016 की धारा 9 (1) एवं धारा -9 (2) में संशोधन करते हुए कारावास सम्बन्धी प्राविधानों को विलोपित किये जाने तथा निरन्तर अपराध की स्थिति में अर्थदण्ड रू0 500 प्रतिदिन के स्थान पर रू० 2000 प्रतिदिन अपराध जारी रखने की अवधि तक किया जा रहा है।
14. जनपद नैनीताल में काठगोदाम से 10 कि०मी० अपस्ट्रीम पर गोला नदी पर प्रस्तावित जमरानी बहुउद्देशीय परियोजना के अन्तर्गत बांध निर्माण से इस क्षेत्र में 117 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति होगी, जिससे इस क्षेत्र की बढ़ती हुई पेयजल समस्या के निदान में भी सहायता प्रदान होगी तथा वर्तमान में पेयजल के लिए नलकूपों से हो रही जलापूर्ति पर निर्भरता कम होगी। जिसके फलस्वरूप भांवर क्षेत्र का भू-जल स्तर बढ़ेगा तथा पर्यावरण पर भी अत्यन्त अनुकूल प्रभाव होगा इसके अतिरिक्त परियोजना से 14 मे०वा० जलविद्युत (63.4 मि०यू० प्रतिवर्ष) का विद्युत उत्पादन होगा। प्रस्तावित परियोजना से 06 गांवों के लगभग 1323 प्रभावित परिवारों को उनके पूर्ण / आंशिक रूप से प्रभावित होने को दृष्टिगत रखते हुये उन्ह 03 श्रेणीयों में विभक्त करते हुये उनके पुर्नवास व उन्हें मुआवजा प्रदान किये जाने के लिए “जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना के लिए पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन नीति-2022“ का प्रख्यापन किया जा रहा है।
15. वर्ष 2013 के माह जून में केदारनाथ क्षेत्र में आयी प्राकृतिक आपदा से श्री केदारनाथ धाम से तिलवाड़ा तक अवस्थित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की सामग्रियों को हुई क्षति के लिए राहत दिये जाने के लिये शासनादेश संख्या-दिनांक 04.03.2014 के प्रस्तर- ख के प्राविधानुसार श्रेणी ‘ए’ एवं श्रेणी ‘बी ” के कुल 465 व्यवसायियों को काफी लम्बे समय से लम्बित राहत राशि की द्वितीय किस्त की धनराशि आवंटित किये जाने के उददेश्य से ग. मुख्यमंत्री राहत कोष से विशेष राहत राशि के रूप में आवंटित किये जाने का प्रस्ताव है।
16. श्री केदारनाथ धाम एरावइल प्लाजा में निर्माण किये जाने वाली विशिष्ट प्रकार की ओम कलाकृति बनायी जायेगी।
17. उत्तराखण्ड राज्य के क्षेत्र विशेष को पर्यटन के दृष्टि से विकसित किये जाने के लिए विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरणों का गठन समय-समय पर किया जाता है, जिसके लिए उत्तराखण्ड विशेष क्षेत्र ( पर्यटन का नियोजित विकास और उन्नयन) अधिनियम, 2013 का गठन किया गया है। उक्त अधिनियम के तहत ही श्री केदारनाथ विकास प्राधिकरण एवं टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। इन विशेष क्षेत्रों को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किये जाने हेतु विशेष प्राधिकरणों को सुदृढ़ बनाये जाने के लिए अधिनियम में संशोधन किये जाने के लिए अध्यादेश लाये जाने की अनुमति प्राप्त की गयी है।
18. धामी मंत्रिमण्डल की और से उत्तराखण्ड मोटर कराधान सुधार नियमावली, 2003 में निम्न संशोधन करने के लिए अनुमोदन प्रदान किया गया- नियम 3 के अन्तर्गत संभागीय परिवहन अधिकारी को भी कराधान अधिकारी नामित किया गया। नियम 9क में संशोधन करते हुए सीज किए गए वाहनों की नीलामी के लिए वरिष्ठतम संभागीय परिवहन अधिकारी की अध्यक्षता में नीलामी समिति का पुनर्गठन किया गया। नियम 22 के उप नियम 4 में संशोधन करते हुए वाहनों का उपयोग न होने की दशा में प्रथम बार समर्पण की अधिकतम अवधि 03 माह से बढ़ाकर अधिकतम 06 माह और पुनः विस्तार की अधिकतम अवधि 03 माह को भी बढ़ाकर अधिकतम 06 माह किया गया। साथ ही आपदा, चोरी, दुर्घटना, जब्ती आदि विशेष परिस्थितियों में वाहन के अनुपयोग को भी समर्पण की श्रेणी में शामिल किया गया है ताकि ऐसी अवधि के लिए वाहनों पर कर की देयता न बने।
19. उत्तराखण्ड जिला योजना समिति अधिनियम, 2007 की धारा-6 की उपधारा (4) जिसमें कि क्षेत्र पंचायत प्रमुखों को अपने जिले की जिला योजना समिति में प्रतिभाग किए जाने की रोस्टर व्यवस्था है, को संशोधित किए जाने के लिए उत्तराखण्ड जिला योजना समिति (संशोधन) विधेयक 2022 प्रख्यापित किया जाना प्रस्तावित हैं, इस विधेयक के प्रख्यापित हो जाने से क्षेत्र पंचायत प्रमुख अपने जिले की जिला योजना समिति में नियमित रूप से प्रतिभाग कर सकेंगे।
20. उत्तर प्रदेश जल सम्भरण, सीवर व्यवस्था अधिनियम, 1975 ( उत्तराखण्ड में यथा प्रवृत्त) के अन्तर्गत उत्तराखण्ड जल संस्थान के वार्षिक लेखे को राज्य सरकार द्वारा विधान सभा के पटल पर प्रस्तुत किये जाने के प्राविधान के क्रम में उत्तराखण्ड जल संस्थान की वित्तीय वर्ष 2016-17, 2017-18 एवं 2018-19 के वार्षिक लेखे / प्रतिवेदन को आगामी विधान सभा के पटल पर रखे 1/1 जाने के लिए मंत्रिमण्डल ने अनुमोदन प्रदान किया है।
21. उत्तराखण्ड राज्य के क्षेत्र विशेष को पर्यटन के दृष्टि से विकसित किये जाने के लिए विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरणों का गठन समय-समय पर किया जाता है, जिसके लिए उत्तराखण्ड विशेष क्षेत्र (पर्यटन का नियोजित विकास और उन्नयन) अधिनियम 2013 का गठन किया गया है। इस अधिनियम के तहत ही श्री केदारनाथ विकास प्राधिकरण एवं टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। इन विशेष क्षेत्रों को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किये जाने के लिए विशेष प्राधिकरणों को सुदृढ़ बनाये जाने के लिए अधिनियम में संशोधन किये जाने के लिए अध्यादेश लाये जाने की अनुमति प्राप्त की गयी है।
22. उत्तराखण्ड राज्य में भारत के संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 एवं 28 में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के अन्तर्गत प्रत्येक धर्म की महत्ता को समान रूप से प्रबल किये जाने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 ( उत्तराखण्ड अधिनियम संख्याः 28 वर्ष 2018 ) प्रख्यापित किया गया था। वर्तमान में परिवर्तित परिस्थितियों एवं एक्ट को और अधिक सशक्त बनाये जाने के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश राज्य की भांति उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 को प्रख्यापित किया जा रहा है।
23. उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम-2016 की विभिन्न धाराओं में लघु उल्लंघनों के लिए नागरिकों को कारावास की सजा दिये जाने सम्बन्धी व्यवस्था को संशोधित किये जाने के सम्बन्ध में । भारत सरकार की और से की गयी अपेक्षा के कम उल्लंघनों के लिए कारावास के प्रावधानों को अपराध मुक्त किये 19-20/23 ल न प्रभावी अधिनियमों / नियमों की समीक्षा कर अधिनियमों / नियमों में नागरिकों को लघु उल्लंघनों हेतु करावास के प्रावधानों से अपराध मुक्त किये जाने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम-2016 की धारा 8( 6 ) 106 ( ग घ ) 148 एवं 149 (क) में उल्लिखित कारावास की व्यवस्था को विलुप्त किये जाने के दृष्टिगत दृष्टिगत उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2022 प्रख्यापित किया जाना प्रस्तावित हैं।
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