उत्तराखण्ड

छावला गैंगरेप और मर्डर केस: सीएम पुष्कर धामी के प्रयास लाए रंग, आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल  करने को मंजूरी से फिर जगी उत्तराखंड की बेटी को इंसाफ मिलने की आस, 

  • सीएम पुष्कर धामी ने मंजूरी देने के लिए जताया दिल्ली के उपराज्यपाल का आभार

  • सुप्रीम कोर्ट ने तीनों आरोपियों को किया था बरी, 10 साल बाद आया था  युवती के साथ हुई बर्बरता के मामले में फैसला

  • दिल्ली की निचली अदालत और हाई कोर्ट ने सुनाई थी आरोपियों को फांसी की सजा

  • 2012 में 19 वर्षीय युवती के साथ अपरहण कर सामूहिक दुष्कर्म के बाद कर दी गई थी निर्मम हत्या

एस.आलम अंसारी 
देहरादून । छावला गैंगरेप और मर्डर केस में आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को मंजूरी मिलने के बाद एक बार फिर इस केस में उत्तराखंड की बेटी को इंसाफ मिलने की आस जग गई है। दिल्ली के उपराज्यपाल ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को मंजूरी दी है। इस मामले में 10 साल बाद सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने और तीनों आरोपियों को बरी किए जाने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लगातार प्रयास किए। आखिरकार उनके प्रयास रंग लाए और इस मामले में दिल्ली के  पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को मंजूरी मिल गई ।
मुख्यमंत्री  पुष्कर  धामी ने छावला केस में आरोपियों को बरी किए जाने के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को मंजूरी देने  के लिए  दिल्ली के उपराज्यपाल  का हार्दिक आभार किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की बेटी को न्याय दिलवाने व दोषियों को कठोरतम सजा मिले यह सुनिश्चित करने  के लिए  हमारी सरकार हर संभव प्रयास करेगी।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने रविवार को नई दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड सदन में  छावला केस की पीड़िता के माता-पिता से मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि उत्तराखण्ड की बेटी को न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू से भी बात की है। मामले से संबंधित वकील चारू खन्ना से भी पूरी जानकारी ली है। पूरा उत्तराखंड उनके साथ है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कुछ दिन पूर्व उत्तराखण्ड की बेटी के पिताजी से फोन पर बात की थी और कहा था कि वे जल्द ही दिल्ली आकर उनसे मुलाकात करेंगे। रविवार को मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली में उत्तराखण्ड सदन में पीङिता के माता-पिता से मुलाकात कर कहा कि पीड़िता हमारे उत्तराखंड की बेटी है और उसे न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। यहां यह भी ज्ञात हो कि गत 7 नवंबर को देश की शीर्ष अदालत  ने सोमवार को साल 2012 में निर्भया की ही तरह हुए एक और गैंगरेप पर अपना फैसला सुनाया था। उत्तराखंड की रहने वाली 19 साल की युवती के साथ दिल्ली में दरिंदों ने हैवानियत की हद पार कर दी थी।10 साल बाद  इस पर सुप्रीम कोर्ट  ने अपना फैसला सुनाया । मामले के अनुसार
साल 2012 में दिल्ली में ही एक और लड़की के साथ निर्भया जैसी ही घटना हुई थी. 19 साल की उस लड़की के साथ वहशी दरिंदों ने वहशीपन की सारी हदें पार कर उसकी हत्या कर दी थी ।इसी मामले में दोषियों के खिलाफ  सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। दिल्ली की निचली अदालत और हाईकोर्ट ने दोषियों के लिए मौत का फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली के छावला गैंगरेप मामले में अपना फैसला इसी माह 7 नवंबर  को सुनाया।शीर्ष अदालत ने तीनों आरोपी रवि, राहुल और विनोद को बरी कर दिया । अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालत के उस फैसले को भी पलट दिया जिसमें दोषियों के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी। साल 2012 में दिल्ली में उत्तराखंड की 19 वर्षीय लड़की के साथ आरोपियों पर दरिंदगी की सारी हदें पार कर उसकी हत्या करने का आरोप था।सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली थी दरिंदगी की शिकार हुई युवती
देहरादून । उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली 19 वर्षीय युवती दिल्ली में छावला इलाके में रहती थी। प्रतिदिन की भांति  14 फरवरी 2012 को भी वह अपने काम पर जाने के लिए घर से निकली थी, लेकिन उस दिन वो देर शाम तक घर नहीं लौटी। परिजनों ने उसकी काफी तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। बहुत खोजने के बाद इतनी सूचना जरूर मिली कि कुछ लोग एक लड़की को गाड़ी में डालकर दिल्ली से बाहर ले जाते हुए दिखाई दिए हैं।
पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की तो दो दिन बाद 16 फरवरी को लड़की का शव हरियाणा में गन्ने के एक खेत में मिला था। उसके साथ जो क्रूरता की गई थी वो दिल्ली की निर्भया से भी भयावह थी।
दो दिनों तक लगातार उसके साथ गैंगरेप हुआ था। यही नहीं, पहचान मिटाने के लिए उसकी आंखों में तेजाब डाल दिया गया था। युवती के शरीर को कई जगह से बुरी तरह नुकसान पहुंचाया गया था। युवती के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जताई थी ।उन्होंने कहा था कि वह फैसले से निराश जरूर हैं, मगर उनका संघर्ष इस बर्बरता के आरोपियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए जारी रहेगा । उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद ही आगे के कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर  धामी ने कहा था कि उत्तराखंड की बेटी को न्याय मिले और इस केस के दोषियों को कठोरतम सजा मिले ,इसके लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी । मुख्यमंत्री धामी ने इस मामले में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू से बात की थी, वहीं इस केस से संबंधित वकील चारू खन्ना से भी बात कर जानकारी ली थी ।   मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने इस मामले को लेकर पूरे प्रयास किए और आखिरकार उनके प्रयास रंग लाए जब दिल्ली के उपराज्यपाल ने  इस गैंगरेप मामले और जघन्य हत्याकांड में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को मंजूरी दे दी । पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को मंजूरी मिलने के बाद अब यह उम्मीद जग गई है कि  इस मामले के दोषियों को कठोरतम सजा मिल सकगी और उत्तराखंड की बेटी को इंसाफ ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button